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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palप्रेम..... इस शब्द में जितनी मिठास है. इसका दर्द उतना ही ज्यादा महसूस होता है. बूढी अम्मा किशोरावस्था से वृद्धावस्था तक इस दर्द को सहती आई है. इनके प्रियतम ने किशोरावस्था, जवानी में तो इसके प्रेम को समझा ही नहीं वृद्धावस्था में भी इनके निश्छल प्रेम ही हत्या कर दी थी. अन्तोत्गत्वा इस दर्द से राहत पाने के लिए. वह अलौकिक शक्तिओ की शरण में जाती है तथा अपने प्राणों की आहुति दे देती है. शायद संसार में प्रेम करने वालों का यही हश्र होता है.
अरुणा शर्मा
लेखिका अरुणा शर्मा, बचपन से ही अत्यंत दुर्लभ विचारों की धनी है. सदैव ही उनका ध्यान जीवन के उन पहलुओं पर जाता रहा जिन्हे समाज अक्सर अनदेखा करकर देता है. उनके विचार दूसरों को शीघ्र ही प्रभावित कर लेते है. उनके मन में समाज में बदलाव लाने की महत्कांक्षा है.
इसका उद्देश्य किसी व्यक्ति, जाति या समुदाय को ठेस पहुँचाना नहीं है. इसके मुख्य स्वरुप में लेखिका ने कुछ बदलाव किये है जो उनकी स्वयं की सोच है.
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