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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palअरावली की प्राचीन पर्वतमाला के मौन चट्टानों की ज़ुबानी सुनिए समय की अद्भुत कहानियाँ। “पाषाण” केवल एक कविता नहीं, बल्कि एक ऐसा दर्पण है जो इन स्थिर और अचल पत्थरों के माध्यम से जीवन की गहराइयों को प्रकट करता है। बार बार चट्टानें कहती हैं: “हम देख नहीं सकते, हम सुन नहीं सकते, हम बोल नहीं सकते।” फिर भी, उनकी निस्तब्धता में छुपा है समय की परतों का बोझ, प्रकृति के बदलते रंगों का चित्रण, और जीवन के अनकहे पहलुओं का प्रतिबिंब।
सुभाष चंद्र जेतली की यह कृति आपको अरावली की गोद में ले जाएगी, जहां पत्थरों की मूक अनुभूतियाँ प्रकृति और मानवता के बीच पुल बनाती हैं।
यह पुस्तक आपको सोचने पर मजबूर करेगी—क्या स्थिरता में भी जीवन की धड़कन होती है?
पढ़ें और पत्थरों के मौन को सुनें।
सुभाष चंद्र जेतली
सुभाष चंद्र जेतली एक संवेदनशील लेखक और कवि हैं, जिनकी लेखनी प्रकृति, जीवन, और मानवीय भावनाओं की गहराइयों को छूती है। उनकी पहली कृति, “पाषाण,” अरावली की मौन चट्टानों के माध्यम से समय, स्थिरता और परिवर्तन की कहानियों को जीवंत करती है।
सुभाष चंद्र जेतली की लेखनी की प्रेरणा उनकी माँ रही हैं, जो पाँच से अधिक भाषाओं की जानकार थीं। रक्षा मंत्रालय में सहायक निदेशक के रूप में सेवानिवृत्त जेतली ने हिंदी पखवाड़ों का आयोजन कर युवाओं में हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी लेखनी सरल भाषा में गहरी भावनाओं को व्यक्त करने की क्षमता रखती है। उनका मानना है कि हर मौन वस्तु के पास अपनी एक कहानी होती है, जिसे समझने के लिए एक संवेदनशील दृष्टि की आवश्यकता होती है
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