Share this book with your friends

Pendi / पेंडी

Author Name: Mr. Devendra Ghanshyam Chaudhari | Format: Paperback | Genre : Young Adult Fiction | Other Details

"पेंडी" मेरी चौथी साहित्यिक पुस्तक है और पोवारी बोली में कविता का दूसरा संग्रह है।  पोवारी बोली में कविताओं का यह संग्रह विशेष रूप से नाविन्यपूर्ण है।  जिसके बारे में बोलते हुए, मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है। पोवारी बोली महाराष्ट्र के गोंदिया और भंडारा जिलों में अधिकांश पोवार लोगों द्वारा बोली जाती है।  यह नागपुर जिले में भी कम प्रमाण मे बोली जाती है।  साथ ही मध्य प्रदेश राज्य में, पोवार के अधिकांश लोग बालाघाट और सिवनी जिलों में बोलते हैं।  लगभग 14 से 15 लाख लोग बोलते हैं। मेरे 'पेंडी' पोवारी बोली संग्रह में हर पोवारी ग़ज़ल, कविता और गीत मानव मन को मोहक है।  पोवारी बोली रसदार होने के कारण शब्द भी रसीले लगते हैं।  इस संकलन में कुछ कविताओं को छोड़कर, सभी की रचना अलग-अलग विधाओं में हुई है।  इन सभी प्रकार की कविताएँ अत्यंत सुंदर हैं।  इस कविता संग्रह को आप कितनी भी देर तक पढ़ लें, इसे बार-बार पढ़ने का मोह नहीं छोड़गे।  पोवारी बोली में मेरी कविताओं का यह संग्रह पाठकों में मेरे पहले कविता संग्रह "मन को घाव" की तरह घर बना लेगा।  मैं गवाही देता हूँ कि यह पाठकों को दुगनी खुशी देगा...... वास्तव में...... यह काव्य का सुन्दर संग्रह है। हमें उम्मीद है कि आपको पढ़ने में जरूर मज़ा आयेगा।

Read More...
Paperback
Paperback 170

Inclusive of all taxes

Delivery

Item is available at

Enter pincode for exact delivery dates

Also Available On

देवेंद्र चौधरी

सबसे पहिले माय गडकालिका को चरण मा कोटी कोटी वंदन करूसु...अग्निवंशी पोवार (परमार) चक्रवर्ती सम्राट महावीर महाराजा भोज ला कोटी कोटी नमन करुसु....मोरो मेंदीपुर गाव की माटी ला हिरदालक वंदन करूसु. मोरा स्वर्गीय बाबूजी (अजि) घनश्यामजी लालाजी चौधरी इनको स्मृतिला मोरो त्रिवार वंदन से.

"पेंडी" येव मोरो जीवन को चौथी साहित्यिक 'किताब आय. मराठी को 'पणन', पोवारी बोली को सुप्रसिद्ध काव्यसंग्रह 'मन को घाव' अना हिन्दी को गजल सह सुप्रसिद्ध काव्यसंग्रह सफर असा सेत. मोरो जीवन मा मोरी माय घसीताबाई चौधरी, मोरी घरवाली सौ. इंदिरा चौधरी, टुरा सुजान उर्फ बिट्टू, टुरि कु. गायत्री तसोच मोरो जीवन ला सही मोडपर आननेवाला मोरो संगी वरीष्ठ पुलीस निरीक्षक श्री प्रमोद मयारामजी मडामे इनको बहुत मोठो सहयोग से.

पोवारी बोली को येव मोरो दुसरो कवितासंग्रह 'पेंडी' बहुतच रसभरेव से. येला जब जब बी तुमि बाचो येको स्वाद अखिन बढत जाये पन कम होन को नाव च नही लेनको. बहुत बहुत सुंदर काव्य सेत. येन बात की मी ग्वाही देसु. येन 'पेंडी' काव्यसंग्रह मा पोवारी मा गजल, गीत, विविध कविता विविध छंद मा रचीसेव. मानव जगत को कल्याण, उत्साह, दुख, सुख, निसर्ग की गरिमा, ग्रामीण भाग संग संग खेती की झलक, तसोच युवक वर्ग सात प्रबोधन को संग संग उंज्यालक काव्यात्मक  मनोरंजन बी झलकसे. मोरो 'मन को घाव' काव्यसंग्रह ला जसो तुमि पाठक वर्ग न दाद देयात वोको पेक्ष्या बी जास्त दाद येन काव्यसंग्रह ला तुमरो प्राप्त होये अशी आशा व्यक्त करुसु. मोरो येव 'पेंडी' काव्यसंग्रह पोवार समाज तसोच  पाठक वर्ग को जीवन मा पेंडी सारको एकता को भाव निर्माण करे, पोवारी बोली को प्रचार प्रसार होये अशी मी माय गडकालिका को चरण मा प्रार्थना करूसु. अंत मा येव मोरो 'पेंडी' काव्यसंग्रह मोरो माय का अजि मोरा नानाजी प्रसिद्ध लोकशाहीर स्व. रामलाल पांडुरंगजी राणे मु. भिवापुरटोला (तहसील-तिरोडा) इनला समर्पित करूसु.

Read More...

Achievements

+11 more
View All