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PREM PARISTHITI NIYATI / प्रेम परिस्थिति नियति

Author Name: Kumar Samvad | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

              कोई कहे की प्रेम नहीं छिछोरापन है, कोई कहे प्रेम नहीं वासना है, कोई कहे प्रेम तो वतन से करो, कोई कहे मां बाप से करो, कोई कहे शादी के बाद करो ,कोई कहे धोखा है, कोई कहे सत्य है, कोई कहे ईश्वरीय अनुभूति है, कोई कहता है कि  'प्यार दोस्ती है' कोई कहे  'केमिकल लोचा' तो कोई मानसिक बीमारी भी मानता है। इस पुस्तक में भी आपको इसके अलग अलग रूप अलग अलग कोण से देखने को मिलेंगे ,कुछ को देखने के लिए शायद कई कोण एक साथ बनाने पड़ें, या फिर सही और गलत का निश्चय करना कठिन हो जाए। प्रेम की समझ आयु और अनुभव के अनुसार बदलती रहती है। प्लूटॉनिक, कैमिकल, उपयोगितावादी, रहस्यवादी, अधिकारवादी, समझौतावादी में से प्रेम के जिस भी रूप को आप आदर्श मानें लेकिन इन सब रूप का सामना कभी ना कभी हो ही जाता है।

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कुमार संवाद

         प्रेम के पर्याप्त आयामों को मैंने छुआ है ऐसा मुझे लगता है। सभी आयामों को अनुभव करने के लिए जीवन बहुत लंबा नहीं हो गया है, तो जो अनुभव दूसरों के है उनको भी शब्दों में पिरो देने की कोशिश की है। दिमाग अनुपस्थित लगे तो इसमें मेरा दोष नहीं, कई जगह नैतिक सीमाएं टूट जाएं तो मेरा दोष नहीं इसमें। वो चरित्र जब नैतिक सीमाएं और मर्यादा तोड़ने लगे तो मेरी कलम ने उनका साथ ही दिया क्योंकि परिस्थिति को बदलने की स्थिति में मैं भी नहीं था। मेरे चरित्र अपनी परिस्थिति में कार्य करने के लिए जितने स्वतंत्र हैं, उनकी नियति के दायित्व से मैं भी उतना ही स्वतंत्र हूं। इन कविताओं का केवल संग्रहकर्ता मात्रा मुझे समझा जाए। इतना ही मेरा परिचय है। इस पुस्तक की नियति आपके हाथ में है।

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