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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palहार्टबीट रिदम द्वारा प्रस्तुत पुस्तक प्रेम: योग या वियोग
लेखक द्वारा अनुभव व महसूस करे प्रेम को विभिन्न रंगों का चित्रण करने का प्रयास है। प्रेम योग ही है जिसकी साधना से हम साकार से निराकार स्वरूप में परिवर्तित होकर उस महाशक्तिमान के नजदीक
आ जाते हैं। यही योग राधाजी और मीराबाई ने जीवनपर्यंत किया था।कभी-
कभी प्रेम वियोग भी बन जाता है, वही वियोग जिसकी व्याख्या श्रीकृष्ण ने कि है जहां हम अलग होकर भी हमेशा साथ रहते हैं। यूं तो प्रेम का कोई सीमीत विस्तार ही नहीं होता, हम सब अपनी साधना द्वारा जितना ग्रहण
करते है वही हमारा प्रसाद है, हमारा विश्वास है। यह पुस्तक लेखक के हृदय द्वारा रचित एक छोटा सा संसार है।
व्रजेश चौहान
मैं,व्रजेश चौहान , मध्यप्रदेश के छोटे से गांव डबरा जिला ग्वालियर का रहवासी अपने बचपन से ही कलम की धार को जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग मानता था। साहित्य में रूचि होने के कारण अपना ज्यादातर समय किताबें पढ़ने में बीतता था। इसी रूचि के चलते अंग्रेजी साहित्य में एम ए करा।बस यहीं से साहित्य साधना ने अपनी रफ्तार पकड़ी और बैंक में कार्यरत इस व्यक्ति ने अपने भावों को कागज पर उतारना शुरू कर दिया।
हिंदी ,अंग्रेजी ,फारसी अनेक भाषा के साहित्यकारों को पढ़ा।इन सबसे प्रेरणा लेकर लिखने में तेजी आ गई। परिणामस्वरूप कई रचनाऐं समाचार पत्रों और संकलन में छपीं। विभिन्न पुरस्कार भी मिले और यह शब्द यात्रा आज इस मकाम पर है।
मेरी रूचि हमेशा से ही हृदय की हलचल,अन्तर्मन में उठते सवाल और जीवन की विषमताओं पर केन्द्रित रही।इस पुस्तक के माध्यम से मैं प्रेम के अनेक पहलू को अपनी कलम की स्याही से चिन्हित करना चाहता हूँ। मेरे प्रेरणास्रोत, मेरे पिता श्री पुरूषोत्तम चौहान हैं,जिन्होने मुझे बचपन से ही अच्छा पढ़ने के लिए प्रेरित करा। मेरा छोटा सा उसूल है "अच्छा पढ़ो और अच्छा लिखो!"
साहित्य के माध्यम से मैने जीवन को एक नई दृष्टिकोण से निहारना और समझना शुरू कर दिया।ये मेरे जीवन का महत्वपूर्ण परिवर्तन है।मेरा मानना है हर इंसान को साहित्य अवश्य पढ़ना चाहिए!
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