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Prkriti Ki Gungunahat / प्रकृति की गुनगुनाहट ( मनका संग्रह )

Author Name: Dr. Sonia Gupta | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

"प्रकृति की गुनगुनाहट", कवयित्री डॉ. सोनिया द्वारा रचित प्रथम मनका संग्रह है जो मनका जनक आदरणीय सुरेश पाल वर्मा 'जसाला' द्वारा रचित नव विधा 'मनका'  पर आधारित है | इस संग्रह में 500 मनकों का संकलन है, जिनका मुख्य स्वर 'प्रकृति' है | इस संग्रह में कवयित्री ने बड़े सरल, सरस और भावपूर्ण शब्दालंकरण के साथ प्रकृति के विभिन्न आयामों का सुंदर और मधुरिम चित्रण किया है | आशा है कि कवयित्री का यह प्रयास सराहनीय रहेगा और इन मनकों को पढ़कर, पुस्तक "प्रकृति की गुनगुनाहट" अपने शीर्षकीय नाम के अनुसार ही प्रबुद्ध पाठकों के मन में भी मधुरिम गुनगुनाहट व आनंद का बोध कराएगी।

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डॉ. सोनिया गुप्ता

कवयित्री और साहित्यकार डॉ. सोनिया गुप्ता, चंडीगढ़ के समीप शहर, डेरा बस्सी की रहने वाली हैं। एक दंत चिकित्सक होने के साथ लिखना इनका शौक है। ये छंद मुक्त, दोहे, गीत, ग़ज़ल, गीतिका, मुक्तक, वर्ण पिरामिड, मनका, लेख, कहानी, आदि अनेक काव्य विधाओं में निपुण हैं| ये हिंदी, अंग्रेजी और पंजाबी भाषाओं में सक्षम हैं। अभी तक इनके 15 व्यक्तिगत काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं, जिनमें से 5 हिंदी में लिखे हैं और 10 अंग्रेजी भाषा में । इनकी पूर्व प्रकाशित हिंदी कृतियां 'ज़िंदगी गुलज़ार है', 'उम्मीद का दीया’, 'कभी जलते जभी बुझते चिराग़', 'कुछ अनकहे एहसास' और ‘आदमी बने रहने का ढोंग’ पाठकों को बेहद पसंद आई। इनकी रचनाएँ कई पत्रिकाओं, समाचार पत्रों, और साँझा काव्य संग्रहों में प्रकाशित हैं। इन्हें हिंदी व अंग्रेज़ी साहित्य में अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है । ये चित्रकारी, संगीत, गायिकी और सिलाई-बुनाई में भी रूचि रखती हैं। इनके अपने दंत विभाग से जुड़े भी कई आलेख प्रकाशित हैं। यह इनका हिन्दी में छठा व्यक्तिगत संग्रह है जो कि एक नव विधा "मनका" पर आधारित है |

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