You cannot edit this Postr after publishing. Are you sure you want to Publish?
Experience reading like never before
Sign in to continue reading.
"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palसाहित्य मणि, कविताओं का ऐसा संग्रह है जिसमें भारत के भिन्न भिन्न राज्यों की कविताएँ निहित हैं | समाज की एवं घर - परिवार की छोटी - बड़ी बातों पर मौन रहने वालीं स्त्रियां अपनी वेदना, अपनी व्यथा , अपनी मनोदशा किसी के समक्ष व्यक्त नहीं कर पातीं हैं तब वे कलम और कागज को ही अपनी संगिनी बना लेतीं हैं तथा अपने सुख - दुःख, अपनी पीड़ा को सुन्दर रचनाओं में पिरों लेतीं हैं |
साहित्य मणि इन्हीं स्त्रियों की सुन्दर रचनाओं का काव्य संग्रह है जिसमें भारत के अलग - अलग राज्यों की स्त्री वेदना सम्मिलित है |
स्वर्णिम साहित्य
जब देखता था अपनी बंद अलमारी में रखी रफ कॉपी में रखी मैं अपनी कविताएं, जब निकालता था अपने बटुए से पैसे और निकल आता था कोई कागज़ का टुकड़ा जिसमें लिखी होती थी मेरी कोई कविता, जब रात को सोता तो सिरहाने रखी तकिये के नीचे दबी अधलिखि कविताएँ , जब स्मरण हो आता विस्मित कर चुका हूँ मैं अपनी बहुत सी रचनाएँ मस्तिष्क में, तब व्यथित हो जाता था और तलाशने लगता था कोई ऐसा मंच जहां मैं अपनी कविताओं को सहेज सकूँ , उन्हें सुरक्षित रख सकूँ, कहीं किसी पाठक तक पहुँच जाएँ मेरी रचना , किसी श्रोता के कानों तक पहुँच जाये मेरी कविताओं की ध्वनि| बस इसी कल्पना से हुई स्वर्णिम साहित्य की परिकल्पना |
सन २००९ मे लिखी थी मैंने पहली कविता को किसी प्रेमिका पर नहीं थी, न माँ, न पिता और न देश - भक्ति आदि पर थी वह तो थी मेरे सबसे प्रिय मेरे बड़े भाई के लिए समर्पित |
कंप्यूटर साइंस से इंजीनियरिंग करने के पश्चात् मैं दृढ़ हो गया था लेखन के प्रति एवं मेरी कवितायेँ और बड़ी हो गयी थीं | इन दिनों मेरी कविताओं में प्रेम रस घुल चुका था | मेरी प्रत्येक रचना में किसी के स्नेह की सुगंध थी किन्तु किसकी यह स्मरण नहीं | परिणाम स्वरुप २०१७ में मेरा पहला काव्य "तेरी प्रीति प्रिय" प्रकाशित हुआ |
उसके बाद प्रेम का पड़ाव बहुत पीछे छूट गया ; मतिष्क में जन्म ले रहीं थीं प्रकृति की रचनाएँ, पशु-पक्षियों की रचनाएँ, सूक्ष्म जीवों की कविताएँ, बस इसी प्रकृति को सहज लिया मैंने अपने दुसरे काव्य संग्रह "अलंकृत कविताएँ" में |
चारों साहित्य रत्नों की सहायता से एक और काव्य संकलन "कविताओं की वाणी" प्रकाशित हुआ | जिसके लिए मैं इनका आभार व्यक्त करता हूँ |
माँ सरस्वती का आशीष हम सभी पर ऐसे ही बना रहे तथा साहित्य के दीपक सदा - सदा प्रकाशमान होते रहें |
और उसके बाद मैं विचार करने लगा औरों की व्यथा पर जिस प्रकार मेरी कविताएं खोज रहीं थी कोई उचित स्थान ठीक वैसे ही औरो की कवितायेँ भी पुकारती होंगी किसी अलमारी से | और फिर ध्यान गया स्त्री शब्द पर कितनी बड़ी बड़ी पाबंदियां होती है इस छोटे से शब्द पर फिर भला इनकी कविताओं को कहाँ होगी स्वतन्त्रा, इसी स्त्री शक्ति के लिए यह पुस्तक का सूत्र धार हुआ जिसका नाम है "स्वर्णिम मणि " स्त्रियों की भावनाएं, वेदनाएं, मर्म, हर्ष आदि जीवन के सभी रंग सभी देखने को मिल जाएँगी उनकी कविताओं में | घर की छोटी-बड़ी बातों पर मौन रह जाती है स्त्रियां परन्तु बेबाक बोलती हैं उनकी कविताएँ, उनके शब्द उनकी भावनाओं, संवेदनाओं, उनकी कविताओं को मेरा वंदन है नमन है |
The items in your Cart will be deleted, click ok to proceed.