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Sakhi, Kah Mukari / सखि, कह मुकरी

Author Name: S. D. Tiwari | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

'कह मुकरी' हिंदी काव्य की एक प्राचीनतम और अद्भुत काव्य विधा है। अपने अत्यंत सहज, सरल, और रोचक भाव के कारण, यह विधा, पढ़ने और सुनने वालों के उर में आनंद भर देती है। 'कह मुकरी' पहेली से मिलती जुलती काव्य विधा है किन्तु उससे पृथक है। 'कह मुकरी' के छंद दो अर्थी होते हैं। जिसमें से एक निश्चित अर्थ साधारणतया प्रियतम या साजन से सम्बंधित होता है और दूसरे अर्थ को शब्दों में छुपाकर रखा जाता है। उस छुपे भाव को रचनाकार, छंद के अंतिम शब्द में प्रकट करता है। छंद का अंतिम शब्द ही, उसमें बूझी पहेली का सही उत्तर होता है। एक कह मुकरी यहाँ देखिये -

जाती हूँ मैं सीधे छत पर। देखूं उसको ऑंखें भर कर। जब भी आती उनकी याद। क्या सखि साजन? नहिं सखि चाँद।

कहमुकरियों की यह रोमांचक पुस्तक 'सखि, कह मुकरी" मन को आनंद से भरने वाली है।

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एस. डी. तिवारी

श्री एस. डी. तिवारी हिंदी और अंग्रेजी भाषा के एक जाने माने कवि हैं। काव्य की लगभग सभी विधाओं के रचनाकार, तिवारी जी कृत 25 पुस्तकें प्रकशित हो चुकी हैं। एक साथ सर्वाधिक पुस्तकों के लोकार्पण पर उनका नाम 'इंडिया बुक ऑफ़ रिकार्ड्स' में अंकित है। उन्हें अपनी साहित्यिक कृतियों के लिए अनेक संगठनों द्वारा सम्मानित किया गया है। हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओँ की उनकी मनोहारी कवितायेँ मन को छूने वाली होती हैं। उनकी कुछ प्रकाशित पुस्तकें हैं : दुनिया गिर गयी, हाइकु शास्त्र, त्रिपदी रामायण, क्या सखि साजन, दिल प्रेम समुन्दर, प्यार का पिंजरा, नन्हीं, हिन्दू धर्म - दर्शन और मंथन, विदेश की चटनी, चाँद के गांव, कविता तो बोलेगी, दी सिंगिंग ब्रीज, बर्ड्स ऑफ़ चैटिंग वर्ड्स इत्यादि।   

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