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Sar Darkhaton ne Kataye Apne / सर दरख़्तों ने कटाए अपने Sar Darkhaton ne Kataye Apne Tab Shehar Humne Basaye Apne / सर दरख़्तों ने कटाए अपने तब शहर हमने बसाए अपने

Author Name: Shubh Chintan | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

ज़िन्दगी भर समेटते ही रहे 
फिर भी पूरा सामान बिखरा है 

झोंपड़ी ने सहेज कर रखा 
महलों में ख़ानदान बिखरा है 

______

ये मोहब्बत की तेज-रौ कश्ती 
जिस्म की हद से गुज़र जाएगी 

बाँध तोड़ेगा इश्क़ का दरिया 
रूह सैलाब में तर जाएगी 

 ______

डाल से मैंने कहा चेहरा दिखाए अपना 

मुझसे कहने लगी अब तो मैं कटारी में हूँ 

 

ख़्वाब कहता है मुझे ‘फूल’ बुलाओ कह कर 

मैं तो इस नींद की बगिया में हूँ , क्यारी में हूँ 

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शुभ चिंतन

लेखक (born 1968) IRS (1993) अधिकारी हैं I लेखक ने इंजीनियरिंग की शिक्षा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और IIT दिल्ली से प्राप्त की। लेखक को उत्कृष्ट लोक सेवाओं के लिये गणतंत्र दिवस, 2014 के अवसर पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा और कस्टम्स में उनकी विशिष्ट सेवाओं के लिये World Customs Organization (WCO) द्वारा प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया जा चुका है।

लेखक की हिन्दी ग़ज़लों और गीतों का यह ग्यारहवाँ संग्रह है।

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