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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palअयोध्या में भगवान श्रीराम को अपनी जन्मभूमि पर पुनः निर्मित भव्य मंदिर में विराजमान होने में चार सौ छियानवे वर्ष का लम्बा समय लग गया। बाबर द्वारा जन्मभूमि मंदिर को ध्वस्त करने और मस्जिद बनाने के बाद उस स्थान को वापस प्राप्त करने हेतु अनेकों घटनाक्रम हुए हैं, राजाओं और साधु संतों ने कई युद्ध लड़े, संघर्ष हुए, अनेकों लोगों ने अपना बलिदान दिया और विभिन्न हिन्दू धार्मिक संगठनों ने वर्षो तक जन्मभूमि की मुक्ति के लिए आंदोलन चलाए, न्यायालयों में मुकदमे लड़े गए। इन सब के साथ साथ मन्दिर निर्माण के लिए रथ यात्राएं निकाली गईं, कारसेवा हुई तथा बाबरी मस्जिद का विध्वंस हो गया, विवादित स्थल की खुदाई में मंदिर के साक्ष्य मिले, सर्वोच्च न्यायालय का रामलला के पक्ष में निर्णय आया और श्रीराम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन तथा मंदिर के लिए भूमि पूजन किया गया। उसके बाद मंदिर का निर्माण हुआ एवं नव्य भव्य विशाल मंदिर में रामलला विराजमान हुए। इन सभी घटनाक्रमों का इस पुस्तक में अति सुन्दर वर्णन किया गया है।
हरेन्द्र
पुस्तक के लेखक भारत सरकार के एक संस्थान से सेवा निर्वृत वरिष्ठ अधिकारी हैं और उन्हें जनता के साथ व्यवहार का लम्बा अनुभव है, लेखक को सामाजिक एवं धार्मिक गतिविधियों का भी अच्छा ज्ञान है।
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