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SHRI KRISHN ARJUN SAMVAAD / श्री कृष्ण अर्जुन संवाद ज्ञान सत्र एवं विज्ञान सत्र/ GYAN SATRA EVAM VIGYAN SATRA

Author Name: Umesh Dhar | Format: Paperback | Genre : Religion & Spirituality | Other Details

इस पुस्तक के द्वारा पाठकजन इस बात पर दृष्टिपात कर पाएंगे कि तत्वज्ञान के विज्ञान को प्राप्त करने के निर्देशों को जब जब अर्जुन अनसुनी कर दे रहे थे तो भगवान को कैसा महसूस होता होगा. इसी प्रकार जब जब श्री कृष्ण प्रचलित धार्मिक मान्यताओं से हट कर अर्जुन के लिए नई नई बातें प्रस्तुत कर देते थे तो उनके मन में किस प्रकार की प्रतिक्रिया होती होगी.

इसी प्रकार अध्याय 11/9 में निहित जो “विज्ञान सत्र” श्री अर्जुन को मिला (यद्यपि वह व्यावहारिक विद्या वहां पर उपलब्ध नहीं है) उसे दृष्टिकोण में रख कर लेखक ने उन बातों को उजागर किया है जिन्हें समझ कर अर्जुन गीता अध्याय 18/66,73 में ऐसी स्थिति में पहुँच गए कि प्रचलित धार्मिक अवलंबनों को छोड़ छाड़ कर वे योगेश्वर कृष्ण के अनन्य शरण में समर्पित हो गए थे. स्वानुभव और गहन अनुसंधान पर आधारित है यह लेखन. अतएव बहुत ही सहायक सिद्ध होगी यह पुस्तक.

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उमेश धर

उमेश धर का जन्म 1945 में पटना में. भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त होने के बाद पुणे में विस्थापित. बैंक के द्वारा उन्हें व्यवहार विज्ञान विशेषज्ञ होने का और आठ वर्षों तक बैंक के बिहार झारखण्ड स्थित सभी स्टाफ प्रशिक्षण केन्द्रों में प्रशिक्षण का अनुभव. उनके प्रशिक्षण कौशल से प्रशिक्षणार्थीजन तो लाभान्वित हुए ही वे स्वयं भी बहुत लाभान्वित हुए. उन 8 वर्षों को वे अपनी सेवा अवधि का सबसे उत्तम अवसर मानते हैं.

उमेश धर अपने जीवन की सर्वोत्तम उपलब्धि मानते हैं तत्वज्ञान के “विज्ञान” को. गीता के 9/23,24 में जो तत्वज्ञान की अनिवार्यता लिखी है उससे वे कुछ ऐसी गंभीरता से प्रभावित हुए थे कि विद्यार्थी जीवन में ही उन्होंने अपनी मां के साथ तत्वज्ञान पर तीन वर्षों तक अनुसंधान किया. 1967 में जब उन्हें तत्वज्ञान का “विज्ञान” प्राप्त हो गया तो उसकी गहराइयों में विचरण करने को उन्होंने अपने जीवन अध्यव्यवसाय बना लिया. 

1972-74 में उन्हें तत्वज्ञान में प्रशस्त होने हेतु बैंक से दो वर्षों का असाधारण अवकाश मिला. 1995 में बैंक के शीर्ष प्रबंधन ने “मानव संसाधन विकास” पर पुस्तक लेखन हेतु चयन करके उन्हें दो महीनों का अवकाश दिया. बैंक के सेवाकाल में ही उन्हें 12 देशों में तथा नाटिंघम, मैंनचेस्टर, लीड्स तथा कैंब्रिज विश्वविद्द्यालयों में तथा बैंक के स्टाफ कालेजों के कार्मिकों और विद्यार्थियों के साथ वैज्ञानिक शैली में तत्वज्ञान आधारित “आसनमुक्त योग” पर चर्चा करने का अनुभव प्राप्त हुआ. उमेश धर के कई लेख, काव्य और उनकी कुछ छोटी छोटी पुस्तकें भी देश विदेश में प्रशंसित हुई.

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