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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palबरसात प्रेम की अनुभूति है। प्रेम की यह अनुभूति आदमी के दुःख को कम करती है। तभी वर्षाऋतु कविता के घर में उत्सव की तरह दिखाई देती रही है। यानी कविता आदमी के जीवन में उत्सव का विकल्प है और यही कारण है कि ‘सुहानी बरसात’ में शामिल की गई कविताएँ आदमी के दुःख को कम करने का एक अच्छा प्रयास कहा जा सकता है। पुस्तक में शामिल अधिकतर कवि-कवयित्री जिस तरह नए पत्ते की तरह ताज़ा हैं, मुलायम हैं, जीवंत हैं, उसी तरह कविता की भाषा भी दूब की मानिंद नई है। सच कहिए तो इसी दूब में बरसात अपने जीवन-राग को बचाकर रखती आई है ताकि धरती पर जो बुराइयाँ हैं, ये बुराइयाँ ख़त्म करी जा सकें। इस किताब की ख़ासियत यह भी है कि इन कविताओं को पढ़कर आप अपनी निराशा से बाहर निकलने का रास्ता खोज सकते हैं। किताब में छपी कविताओं का असल रोमाँच यही तो है। निःसंदेह वर्षा-शृंखला की यह पुस्तक हिंदी कविता को रचनाकारों की नई तथा पुरानी आवाज़ एक साथ सौंपती हुई दिखाई देती है। इस कारण समकालीन कविता के लिए यह एक दुर्लभ क्षण भी कहा जा सकता है।
शहंशाह आलम
प्रकाशन विभाग, बिहार विधान परिषद, पटना।
हितेश रंजन दे
साहित्य धरा अकादेमी लेखकों एवं पाठकों का एक लोकप्रिय साहित्यिक संस्थान है। हमारे लिए हर्ष का विषय है कि इस संस्थान से देश-विदेश के चर्चित युवा लेखकों और नामवर साहित्यकारों के साथ-साथ लाखों-लाख पाठक भी लगातार जुड़ रहे हैं।
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