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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palमनजीत राजबीर जी के काव्य संग्रह'सुनो ना! महादेव' में आदि से अंत तक शिव ही शिव हैं। उनका यह काव्य संग्रह शिव को समर्पितहै। उनके जीवन के सुखों में- दुखों में ,जय में- पराजय में, हर्ष में- विषाद में ,सब के मूल में शिव हैं। इस संग्रह की रचनाओं में जीवन कीपीड़ा है ,मां की ममता है , रिश्तों की कड़वाहट है तो वर्तमान के प्रति छटपटाहट भी दिखाई देती है। अपने शंभु के प्रति कवयित्री का एकात्म प्रेम भाव है जिसमें वह डूब जाना चाहती हैं या कहें कि इन रचनाओं में मोक्ष की कामना है, जीवनके प्रत्येक पहलू पर सुंदर भावना है, तो ग़लत नहीं होगा।
मनजीत राजबीर
मनजीत राजबीर, गुरुग्राम, हरियाणा से हैं पर उनका बचपन और जीवन का बड़ा भाग दिल्ली में बीता है. पढ़ने और लिखने का शौक रखने वाली मनजीत राजबीर ने कैन्सर के लौटने के ख़ौफ़ पर अपनी जीत दर्ज़ करा, 17 साल के बाद फिर से क़लम पकड़ी है।अब वहक़लम जीवन से जुड़े तमाम अहसासों को शब्दों में पिरो कर, अनवरत उत्कृष्ट रचनाओं को जन्म दे रहीं हैं।वे अंग्रेज़ी, हिंदी व पंजाबी भाषा की रचनाकार हैं। तीनों भाषाओं में इनकी अनेक पुस्तकें व काव्य संकलन प्रकाशित हो चुके हैं। अपनी विशिष्ट पहचान बना चुकी मनजीत राजबीर का साहित्य जगत में सराहनीय योगदान रहा है।
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