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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal"स्वदेश प्रेम" शब्द जिसका अर्थ है "अपने देश के प्रति प्यार" ! "स्वदेश " जिसका नाम आते ही हर भारतीय का हृदय उत्साह और उमंग से भर जाता है और हम स्वतः ही देश के प्रति त्याग, समर्पण और बलिदान के भाव से लालायित हो जाते है! "स्वदेश प्रेम" जिसमें 35 भिन्न भिन्न सह लेखकों ने देश के प्रति अपने प्रेम को प्रस्तुत किया है और अपने देश के प्रति हमारे नौजवानों तथा भारतीयों के प्रेम को बहुत ही बेहतरीन तरीके से दर्शाया गया है
हम सभी गौरवान्वित महसूस करते है कि हमने भारत जैसी पवित्र भूमि पर जन्म लिया, जिसकी धरा को गंगा नदी पवित्र करती है और पहरेदारी में हिमालय तत्पर रहता है! हमारे देश के वीर जवान हमारे देश की सीमा पर सदैव अपनों प्राणों की चिंता किये बगैर डटॆ रहते हैं और हमे देश प्रेम का पाठ पढ़ाते है।
सिर्फ सरहद पर जाना ही देशभक्ति नहीं ,बल्कि देश के हित में किया गया प्रत्येक कार्य देशभक्ति है और यही प्रेम देश के प्रति प्रेम दर्शाता है ।भारत के कण कण मे जय भारत माता गूँजता है यहाँ के मंदिर मस्जिद गिरजाघर में दिल हिंदुस्तानी बसता है भेदभाव से मुक्त इस देश का परचम संसार भर में लहरा रहा है ।इस तरह अपना भिन्न भिन्न रंग बिखराती रचना भारत के गर्भ में पनप रही है । देश का युवा जो भारत की नींव है अपने अल्फाजों में ही इतना वजन रखता है जिसे सुनकर दुश्मन का सीना छलनी छलनी हो जाये ।देश का प्रत्येक नागरिक का एक दूसरे के प्रति प्रेम भी देश प्रेम का ही रूप है ।
जय हिन्द जय भारत
ललित मेघवाल & प्रीति विश्वकर्मा
ये प्रीति विश्वकर्मा 'वर्तिका' है | जो अपनी कवितायें, कहानियाँ और शायरी को "वर्तिका" नाम से नामांकित करती है | ये उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ जिले के एक छोटे से गांव खिदिरपुर से सम्बन्ध रखती है | इन्होनें अवध विश्वविद्यालय से स्नातक गणित विषय से प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण किया है | वर्तमान में ये एक शिक्षिका के रूप में कार्यरत हैं , जो अपने घर पर गाँव के बच्चों को गणित विषय निःशुल्क कोचिंग देती हैं |इनका उद्देश्य गाँव के उन बच्चो को शिक्षा देना है जो पढ़ाई छोड़ दिये है या आर्थिक वजह से शिक्षा नहीं ले पाते है| लिखना इनका शौक है | जिसके की वजह से ये अपने विचारों को लोगों तक पहुँचा सकें | इनका प्रयास इनकी रचानाओं के द्वारा समाज के उस पहलू को लोगों को दिखाना होता है जो आजकल के चकाचौंध में कहीं खोते जा रहे है जिस पर किसी का ध्यान नहीं जाता जैसे : - उजड़ते गाँव ,खत्म होती संस्कृति, कम होते पेङ आदि | इनकी इस तरह की सोच इन्हें इनके पिता श्री राम अचल से मिली है | इनको लिखने की प्रेरणा गुरुजनो के मार्ग दर्शन और मित्रों के उत्साहवर्धन से मिली | ये अपनॆ लेखन का श्रेय श्री विपिन शुक्ला sir और ललित भाई को देती है |
ललित मेघवाल 18 साल के किशोर है ,जो डोरिया चित्तौड़गढ़ राजस्थान में रहते है और 6 -12वी तक की पढाई जवाहर नवोदय विद्यालय से की है नवोदय में पढ़ने के दौरान ही इनको माइग्रेशन सिस्टम के तहत कर्नाटक के बेल्लारी जिले मे पढने का अवसर मिला। जिसके कारण ये किसी भी वातावरण में अपने आपको बहुत जल्दी ढाल लेते है इनको भारतीय संस्कृति से प्रेम है और मुख्यत: ललित श्रृंगार रस लिखते है लिखने की प्रेरणा 11वी क्लास में पढ़ते हुए उदयपुर नवोदय के शिक्षकों से मिली । लेखन में रुचि है और ये जानते है कि हम कलम के जरिये अपनी भावनाओं को कोरे कागज पर अलंकृत कर सकते है । लेखन जिंदगी के हर पहलू को आनंदमय बना सकता है ये लेखक के साथ साथ पढ़ाई भी कर रहे है । और समाज सेवा हेतु प्रशासनिक सेवा में जाना चाहते है जिसके लिए प्रयासरत है लगभग 42 पुस्तको मे सहलेखक के तौर पर अपनी रचना दे चुके है और इनके द्वारा समकलित पुस्तक "जज्बात ए दिल" प्रकाशित हो चुकी है ये हर प्रकार की शायरी और कविता लिखने के लिए उत्साहित रहते है 11वी क्लास मे लिखना शुरू किया और कई प्रतियोगिता में विजेता भी रहे है .
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