Share this book with your friends

Swarnim Abha / स्वर्णिम आभा

Author Name: Nidhi Mathur | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

“मथुरा में जन्म लियो साँवरो सलोनो बाल

गोकुल हर्षायो, आयो नंद को लाल

जसोदा पुलकित निरख नन्हों सो गोपाल

किलकत, ठुमकत, गावत, चलत डगमग चाल ।।“

“स्वर्णिम आभा“ संकलन में विभिन्न विषयों पर कवियित्री ने अपने ह्रदय के भाव प्रस्तुत किए हैं । इस संकलन में प्रकाशित, चुनी हुई 71 कविताएँ हैं |श्रीमती निधि माथुर हर विषय पर लिखती हैं, अतएव  इस पुस्तक में प्रेम, मित्रता, प्रकृति, शिक्षा, पर्व, हास्य, मानव प्रकृति, समसामयिक घटनाओं एवं ह्रदय के अंतर्द्वंद को व्यक्त करती हुई कविताएँ हैं। इस संकलन में ब्रजभाषा में लिखित, कवियित्री के सर्वाधिक प्रिय ईश श्रीकृष्ण को भी कविताएँ अर्पण हैं। एक कविता “राघव” जो कि श्रीराम को अर्पित है, अवधी भाषा में है। साथ ही अन्य मानवीय संवेदनाओं जैसे कि लोभ, घृणा, तिरस्कार, उपेक्षा आदि का भी कवियित्री ने अपनी कविताओं में सुन्दर चित्रण किया है। लगभग सभी रसों में उन्होनें लिखा है। कविताएँ  भावों का प्रतिबिंब होती हैं, श्रीमती निधि माथुर के काव्य में यह स्पष्ट दिखाई देता है।

Read More...
Paperback
Paperback 249

Inclusive of all taxes

Delivery

Item is available at

Enter pincode for exact delivery dates

Also Available On

निधि माथुर

श्रीमती निधि माथुर एम.ए. इंग्लिश, बुन्देलखण्ड यूनिवर्सिटी, वर्ष 1995 की टॉपर हैं। वे एक सफल शिक्षाविद एवं उद्यमी हैं। वे प्रतिनिधिज़ इंग्लिश अकादमी, मुम्बई, की सह-संस्थापिका हैं, तथा शिक्षा के क्षेत्र में पिछले कई वर्षों से हैं। उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में हर राइजिंग द्वारा "वुमन इन एजुकेशन" श्रेणी में 2021 में पुरस्कृत किया जा चुका है। बचपन से ही उनकी रुचि लेखन एवं पठन- पाठन में रही है। अब तक उनकी काफी रचनाएँ देश के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों व एवं पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं जिनमें उल्लेखनीय हैं: द हिंदुस्तान टाइम्स, अमर उजाला, सामना, वृत्तमित्र, भोजपुरी राज्य अमन, सरिता, गृहशोभा आदि। ई-पत्रिकाओं में भी उनकी रचनाओं को सम्मानित किया जाता रहा है तथा कई प्रतियोगिताओं में भी वे विजेता घोषित की जा चुकी हैं।

अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पद्मश्री लेखिका श्रीमती मालती जोशी ने उनकी दो कविताओं ‘’सूर्य वंदना’’ व “पुरवा” की समीक्षा करते हुए उनकी प्रशंसा में लिखा है:

‘’अपनी दोनों कविताओं में आपने प्रकृति के मनोरम दृश्यों का शब्दांकन किया है और उस रमणीयता का श्रेय सूर्यदेव को दिया है यह बहुत अच्छा लगा। पुरवा की नटखट अठखेलियों का भी आपने सुंदर चित्र प्रस्तुत किया है। सीमेंट के जंगलों में रहने वाली इस पीढ़ी के लिए प्रकृति का सौंदर्य उपलब्ध कहाँ  होता है। ऐसी कविताओं के सहारे वे कल्पना में ही सही प्रकृति से तादात्म्य स्थापित कर पाएंगे।‘’           

Read More...

Achievements

+1 more
View All