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TALAB KAHE PUKAR KE / तालाब कहे पुकार के

Author Name: Deepak Kumar Pandey | Format: Paperback | Genre : Educational & Professional | Other Details

संसार में भारत ही एक ऐसा देश है जहाँ के पूर्वजों ने प्रकृति के सभी अवयवों से मानवीय रिश्ते कायम किए । आकाश को पिता कहा,धरती को माता कहा। नदी-तालाबों से लेकर सूर्य तक ब्रह्माण्ड के हरएक अवयवों की उपासना की गई। तालाब को हमने अभिभावक कहा, उसमें नहाये, पानी पीया,अर्घ्य दिया। हमने तालाब के इर्द-गिर्द ही अपनी दुनिया बसा ली। आज मुझे लगता है सभी रिश्ते दाँव पर हैं। हम तालाब के सुख के विरक्त हो गए हैं । तालाब का जल अब जहर बन चुका है । हजारों तालाब कंकरीट के जगलों की भेंट चढ़ चुके हैं। हमारे विज्ञान ने तालाबों की उपेक्षा की। जिससे तालाब सुषुप्तावस्था में चले गए। तालाबों की मरणासन्न स्थिति को भांपने के बावजूद हम आत्मविश्लेषण के लिए तैयार नहीं हैं।

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दीपक कुमार पाण्डेय

दीपक कुमार पाण्डेय मैकेनिकल  इंजिनियरिंग से ग्रेजुएट तथा प्रबंधन में पीजी हैं। वर्तमान में वे भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड, अमेठी मे उपअभियंता के रूप में कार्यरत हैं। इंजीनियर होने के साथ साथ ये उपन्यासकार, निबंधकार, कवि, पर्यावरणविद, शोधार्थी, व्याख्याता तथा विश्व कीर्तिमानक भी हैं। इन्हें पर्यावरणीय लेख लिखना बहुत पसंद है।­­

        दीपक कई  राष्ट्रीय प्रौद्यौगिकी संस्थानों तथा विश्वविद्यालयों में अपना व्याख्यान दे चुके हैं । इन्होने अपनी छोटी आयु में ही कई  विश्व-रिकार्ड बना चुके हैं। दीपक दुनियाँ के पहले इंसान हैं जिन्होने लगातार तीन साल लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज किया है । इन्होने सन 2015,2016 तथा 2017 में लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम पंजीकृत कर एक नया इतिहास बनाया है । आज की तिथि तक श्री दीपक कुमार पाण्डेय के नाम साहित्य के क्षेत्र में 13 विश्व रिकार्ड्स पंजीकृत हो चुके हैं। जिनके नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स,वर्ल्ड रिकॉर्ड्स इण्डिया,यूनीक वर्ल्ड रिकार्ड्स,एशिया बुक ऑफ रिकार्ड्स तथा इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड्स आदि हैं । 35 वर्षीय दीपक की ये दसवीं  पुस्तक है।

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