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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh PalAchievements
यह पुस्तक "माटी और सीमेंट" दो महत्वपूर्ण निर्माण सामग्रियों के बीच तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत करती है, जो पर्यावरण संरक्षण और आदर्श शहर निर्माण के लिए बेहद प्रासंगिक है। पुस्तक
यह पुस्तक "माटी और सीमेंट" दो महत्वपूर्ण निर्माण सामग्रियों के बीच तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत करती है, जो पर्यावरण संरक्षण और आदर्श शहर निर्माण के लिए बेहद प्रासंगिक है। पुस्तक में इन सामग्रियों के सांस्कृतिक, वैज्ञानिक, और तकनीकी पहलुओं का विश्लेषण करते हुए, हवा, जल और माटी की शुद्धता बनाए रखने के उपायों को भी शामिल किया गया है। इसमें पर्यावरण की दृष्टि से आदर्श शहर की रूपरेखा तैयार की गई है, जो न केवल निर्माण की तकनीकों पर बल्कि सतत विकास के सिद्धांतों पर भी आधारित है।
"माटी और सीमेंट" में सामग्री के विभिन्न उपयोगों का गहन अध्ययन किया गया है, जिसमें प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और दीर्घकालिक स्थायित्व को प्राथमिकता दी गई है। इस पुस्तक के लेखक एक आदर्श शोधकर्ता के रूप में उभरते हैं, जिन्होंने विषय की गहराई में जाकर एक संतुलित और विस्तृत दृष्टिकोण प्रस्तुत किया है।
यह शोध पाठकों को एक नया दृष्टिकोण देता है कि किस प्रकार पर्यावरण-संवेदनशील निर्माण सामग्रियों का उपयोग करके हम सतत विकास की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं।
गोबर (विशेषकर गाय का गोबर) पदार्थ गोवंश का मल है। ग्रामीण भारत में सतत विकास के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण उपयोगी द्रव्य है । गोबर का उपयोग ईंधन, उर्वरक या कीटनाशकों के रूप में
गोबर (विशेषकर गाय का गोबर) पदार्थ गोवंश का मल है। ग्रामीण भारत में सतत विकास के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण उपयोगी द्रव्य है । गोबर का उपयोग ईंधन, उर्वरक या कीटनाशकों के रूप में किया जा सकता है । यह पुस्तक गोबर की उपयोगिता का वर्णन करती है ।
इस पुस्तक में सिंह जीव का शारीरिक,मानसिक एवं सामाजिक विश्लेषण किया गया है। सिंह के संरक्षण हेतु यह एक साहित्यिक प्रयास है। इस पुस्तक में निहित “समस्त वैज्ञानिकी तथ्य” विभ
इस पुस्तक में सिंह जीव का शारीरिक,मानसिक एवं सामाजिक विश्लेषण किया गया है। सिंह के संरक्षण हेतु यह एक साहित्यिक प्रयास है। इस पुस्तक में निहित “समस्त वैज्ञानिकी तथ्य” विभिन्न शोध कार्यों तथा विज्ञान के प्रमाणों पर आधारित हैं।
“अनोखा पत्र ” पुस्तक जोश में आकर लिखा गया पत्र नहीं है। भारत के संसाधन तथा पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए लिखा गया एक याचना पत्र है । आशा है कि यह पत्र पर्यावरण के संबं
“अनोखा पत्र ” पुस्तक जोश में आकर लिखा गया पत्र नहीं है। भारत के संसाधन तथा पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए लिखा गया एक याचना पत्र है । आशा है कि यह पत्र पर्यावरण के संबंध में जागरूकता लाने के साथ-साथ सरकार द्वारा नीतिगत फैसले लेते समय भी मददगार सिद्ध होगा........ । इस पत्र में एक साधारण नागरिक प्रधानमंत्री से शिष्टाचार तरीके से कुछ याचनाएं कर रहा है।
कविता ज्ञान का श्रोत है और जीवन दर्शन का भी ।कविता के माध्यम से सभी के अधरों पर खुशियाँ लायी जा सकती है। इसकी बहुत प्राचीन परंपरा रही है। यह पुस्तक हिंदी एवं अंग्रेजी भाषाओँ मे
कविता ज्ञान का श्रोत है और जीवन दर्शन का भी ।कविता के माध्यम से सभी के अधरों पर खुशियाँ लायी जा सकती है। इसकी बहुत प्राचीन परंपरा रही है। यह पुस्तक हिंदी एवं अंग्रेजी भाषाओँ में रचित कविताओं का एक संग्रह है। जिसमें व्यंग्य एवं गंभीर विषयों वाली कविताओं का समन्वय है।
संसार में भारत ही एक ऐसा देश है जहाँ के पूर्वजों ने प्रकृति के सभी अवयवों से मानवीय रिश्ते कायम किए । आकाश को पिता कहा,धरती को माता कहा। नदी-तालाबों से लेकर सूर्य तक ब्रह्माण्ड के
संसार में भारत ही एक ऐसा देश है जहाँ के पूर्वजों ने प्रकृति के सभी अवयवों से मानवीय रिश्ते कायम किए । आकाश को पिता कहा,धरती को माता कहा। नदी-तालाबों से लेकर सूर्य तक ब्रह्माण्ड के हरएक अवयवों की उपासना की गई। तालाब को हमने अभिभावक कहा, उसमें नहाये, पानी पीया,अर्घ्य दिया। हमने तालाब के इर्द-गिर्द ही अपनी दुनिया बसा ली। आज मुझे लगता है सभी रिश्ते दाँव पर हैं। हम तालाब के सुख के विरक्त हो गए हैं । तालाब का जल अब जहर बन चुका है । हजारों तालाब कंकरीट के जगलों की भेंट चढ़ चुके हैं। हमारे विज्ञान ने तालाबों की उपेक्षा की। जिससे तालाब सुषुप्तावस्था में चले गए। तालाबों की मरणासन्न स्थिति को भांपने के बावजूद हम आत्मविश्लेषण के लिए तैयार नहीं हैं।
मुझे वट भी कहते हैं। मेरा वैज्ञानिक नाम फाइकस वेनगैलेंसिस है। मुझे जीवंत करने एवं ग्रीष्म काल में मेरे मूल में जल देने से पुण्य का संचय होता है। मेरी शाखाओं से मूल निकलते ही जमीन
मुझे वट भी कहते हैं। मेरा वैज्ञानिक नाम फाइकस वेनगैलेंसिस है। मुझे जीवंत करने एवं ग्रीष्म काल में मेरे मूल में जल देने से पुण्य का संचय होता है। मेरी शाखाओं से मूल निकलते ही जमीन में पहुंचकर स्तंभ का रूप ले लेती हैं। जिससे मैं बहुत तीव्र गति से विकास करता हूँ। कुछ लोग मुझे जटाजूट भी कहते हैं। मैं मघा नक्षत्र का भी प्रतीक हूँ। मुझे अपने बारे में इतना बताना काफी है क्योंकि इस चराचर जगत में कोई मानव ऐसा नहीं होगा जो अपने पूरे जीवनकाल में मुझसे कभी ना मिला हो।
यह पुस्तक भारतीय संविधान के विभिन्न तथ्य की व्याख्या करती है। इस पुस्तक में दो खण्ड हैं । पहले खण्ड में भारतीय संविधान तथा संविधान की पुस्तक के तथ्यों का विस्तृत वर्णन किया ह
यह पुस्तक भारतीय संविधान के विभिन्न तथ्य की व्याख्या करती है। इस पुस्तक में दो खण्ड हैं । पहले खण्ड में भारतीय संविधान तथा संविधान की पुस्तक के तथ्यों का विस्तृत वर्णन किया है और दूसरा भाग भारतीय संविधान का काव्यात्मक रूप है। इस पुस्तक का दूसरा भाग "भास" नाम से प्रकाशित हो चुका है । भास पुस्तक को 2015 में "लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स" में भी प्रदर्शित किया गया है। वर्ष 2020 में भारतीय संविधान का काव्यात्मक रूप में पुनः संपादित कर प्रकाशित किया जा रहा है ।
क्या आप जानते हैं ?
(इन सभी प्रश्नों के उत्तर इस पुस्तक में मिलेंगे)
मूल संविधान कितने पृष्ठों का है ?
मूल संविधान की पुस्तक के पन्ने किस पदार्थ के हैं ?
मूल संविधान की पुस्तक का वजन कितना है ?
मूल संविधान को किसने लिखा है ?
मूल संविधान की पुस्तक के पन्नों में किसने चित्र बनाया है ?
मूल संविधान के पन्नों में कौन-कौन से चित्र अथवा दृश्य है ?
मूल संविधान की पुस्तक में कितने हस्ताक्षर हैं ?
मूल संविधान की पुस्तक कहाँ संरक्षित की गई हैं ?
मूल संविधान की पुस्तक गैस चैंबर में क्यों रखा गया है ?
मूल संविधान की पुस्तक का साइज क्या है ?
वृषभ प्राणी के रूप में अवतरित देव हैं। ये गोवंश के अन्तर्गत आने वाले कर्मठ महापुरुष हैं। सनातन से ही इन्होने हल अथवा बैलगाड़ी को खींचकर मानव के जीवन को सरल और सुगम बनाने का प्रयास
वृषभ प्राणी के रूप में अवतरित देव हैं। ये गोवंश के अन्तर्गत आने वाले कर्मठ महापुरुष हैं। सनातन से ही इन्होने हल अथवा बैलगाड़ी को खींचकर मानव के जीवन को सरल और सुगम बनाने का प्रयास किया है। ये मानव सभ्यता के आद्य चालक भी हैं।मानव को किसान बनाने के लिए इन्होने जी तोड़ मेहनत की है।
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