Share this book with your friends

Thegra / थेगरा

Author Name: Advocate Devendra Ghanshyam Chaudhari | Format: Paperback | Genre : Young Adult Fiction | Other Details

"थेगरा" मेरी पांचवीं साहित्यिक पुस्तक है और पोवारी बोली में कविता का तीसरा संग्रह है। यह कविताओं का संग्रह नहीं है बल्कि केवल एक कविता है जो लंबी है। पोवारी बोली साहित्य के इतिहास में यह पहली लंबी कविता है। जिसके बारे में बोलते हुए, मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है।  पोवारी बोली महाराष्ट्र के गोंदिया और भंडारा जिलों में अधिकांश पोवार लोगों द्वारा बोली जाती है। यह नागपुर जिले में भी बहुत कम बोली जाती है। साथ ही मध्य प्रदेश राज्य में, पोवार के अधिकांश लोग बालाघाट और सिवनी जिलों में बोलते हैं। लगभग 14 से 15 लाख लोग बोलते हैं। मेरी 'थेगरा' पोवारी बोली की लंबी किताब की हर पंक्ति मानव मन को मोह लेती है। पोवारी बोली रसदार होने के कारण शब्द भी रसीले लगते हैं। इस संकलन में कुछ कविताओं को छोड़कर, सभी की रचना अलग-अलग विधाओं में हुई है। इन सभी प्रकार की लंबी कविताएं बेहद खूबसूरत हैं। इस लंबी कविता को आप कितनी भी देर तक पढ़ लें, इसे फिर से पढ़ने का मोह नहीं छूटता। पोवारी बोली में मेरी कविता की यह लंबी किताब मेरे अन्य कविता संग्रह "मन को घव", पेंडी की तरह पाठकों में घर बनाएगी। मैं गवाही देता हूं कि यह पाठकों को दोगुनी खुशी देगा...... वास्तव में..... यह एक सुंदर कविता है। हमें उम्मीद है कि आपको पढ़ने में मज़ा आया होगा।

Read More...
Paperback
Paperback 150

Inclusive of all taxes

Delivery

Item is available at

Enter pincode for exact delivery dates

Also Available On

एडवोकेट देवेंद्र घनश्यामजी चौधरी

मी, एडवोकेट श्री देवेन्द्र घनश्यामजी चौधरी सबसे पहिले माय गडकालिका को चरण मा कोटी कोटी वंदन करूसु...अग्निवंशी पोवार (परमार) चक्रवर्ती सम्राट महावीर महाराजा भोज ला कोटी कोटी नमन करुसु....मोरो मेंदीपुर गाव की माटी ला हिरदालक वंदन करूसु. मोरा स्वर्गीय बाबूजी (अजि) घनश्यामजी लालाजी चौधरी इनको स्मृतिला मोरो त्रिवार वंदन करुसू. "थेगरा" या मोरो जीवन की पाचवी साहित्यिक 'किताब आय. मराठी को 'पणन', पोवारी बोली को सुप्रसिद्ध काव्यसंग्रह 'मन को घाव' अना "पेंडी" तसोच हिन्दी को गजल सह सुप्रसिद्ध काव्यसंग्रह सफर असी साहित्यिक किताब सेत. मोरो जीवन मा मोरी माय घसीताबाई चौधरी, मोरी घरवाली सौ. इंदिरा चौधरी, टुरा सुजान उर्फ बिट्टू, टुरि कु. गायत्री तसोच मोरो जीवन ला सही मोडपर आननेवाला मोरो संगी डी. वाय. एस. पी. श्री प्रमोद मयारामजी मडामे इनको बहुत मोठो सहयोग से. पोवारी बोली को येव मोरो तिसरो दीर्घ काव्य "ठेगरा"' बहुत मस्त रसभरेव से. येला जब जब बी तुमि बाचो येको स्वाद अखिन बढत जाये पन कम नहीं होन को येन बात को मोला बिस्वास से. सुप्रसिद्ध साहित्यिक एड. लखनसिंह जी कटरे इनकी प्रस्तावना प्राप्त भयी से. उनको लगित धन्यवाद से. येन बहुत बहुत सुंदर दीर्घकाव्य मा मीन मानव को मस्तिक, कार्य, बिचार, तन, धन, मन को घनत्व सजावन को प्रयास करीसेव. येन दीर्घकाव्य मा  मानव जगत को कल्याण, उत्साह, दुख, सुख, निसर्ग की गरिमा, ग्रामीण भाग की झलक, तसोच युवा वर्ग सात प्रबोधन को संग संग उंज्यालक काव्यात्मक  मनोरंजन बी मिले पायजे येन बात को बि ख्याल ठेयिसेव.  मोरो 'मन को घाव' अना "पेंडी" येन काव्यसंग्रह ला जसो तुमि पाठक वर्ग न दाद देयात वोको पेक्ष्या बी जास्त दाद येन दीर्घकाव्य ला तुमरो प्राप्त होये अशी आशा मोला से. मोरो येव '"थेगरा'' दीर्घकाव्य पोवार समाज तसोच  पाठक वर्ग को जीवन मा बहुत सहाय्यक होये अना पोवारी बोली को प्रचार प्रसार होये अशी मी माय गडकालिका को चरण मा प्रार्थना करूसु. अंत मा येव मोरो '"थेगरा"' दीर्घकाव्य लोककला- दंडार को  शौकीन मोरो लहान सारो स्व. दामोदर शिवलाल पटले, बाजारगाव, जिला -नागपुर,  मूल गांव- खेड़ेपार, तहसील -तिरोड़ा (जिला -गोंदिया) इनला समर्पित करूसु.

Read More...

Achievements

+11 more
View All