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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palपूरी ज़िन्दगी हम अपने प्रिय जनों के जीवन में खुशियाँ भरने में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि खुद के दिल की हसरतें अधूरी ही रह जाती हैं I अगर मालूम हो कि अपनों को प्यार करने में दर्द मिलता है तो कोई भी दीवानगी में खुशी खुशी फना ना हुआ करता I अपनों का प्यार वो फूल की तरह होता है जिसकी महक कभी कम नहीं होती I यह प्यार तो उस शुष्क पुष्प की तरह होता है जो सदा दिल रूपी किताबों में सबसे छिपा कर यादों में महफूज़ रखा जाता है I सांसों के सुर ताल के साथ इस प्रेम गीत का गुन्जन दिल की धड़कन के साथ महसूस किया जा सकता है I जीवन के अंतिम पड़ाव पर अधूरी ख्वाहिशें, यादों से अपने खो चुके लम्हों का हक मांगने के लिए कराह उठती हैं और ज़िन्दगी से सवाल करती हैं कि कब तक अपनी चाहतों को दूसरों की ख़ातिर नीलाम करते रहोगे और खुद के लिए जीना कब शुरू करोगे I खुद के साथ इसी तरह का संवाद करते हुए मैंने जीवन के पलों में अपने जाज्बातों की कलम से कुछ अल्फाज़ पिरोए हैं I इस तरह के मन के भावों को प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन काल में कभी न कभी अवश्य महसूस करता है I आशा करता हूँ जितनी सरलता से मैंने अपने ज़ज्बातों को इस कविता संग्रह में पिरोया है उतनी ही सहजता से आप प्रबुद्ध पाठक जन अपनी यादों में सहेज कर रखेंगेI
मुनीष भाटिया
मुनीष भाटिया
जन्म: 24 मई 1973
स्थान: यमुनानगर (हरियाणा)
शिक्षा: वाणिज्य स्नातक
उपलब्धियां: विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित आलेख एवं कविताएँ I
प्रकाशन: तीन लघु-कविता संग्रह “जीना कब शुरू करोगे”, “प्रिय उम्मीद” और “इश्क की कहानियाँ”
सम्प्रति: केंद्र सरकार में सेवारत
संपर्क: 585 स्वास्तिक विहार, पटियाला रोड, जीरकपुर (मोहाली) पंजाब
178, सेक्टर-2, अर्बन एस्टेट, कुरुक्षेत्र (हरियाणा)
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