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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palपुस्तक के बारे में
प्रस्तुत पुस्तक यादों के झरोखे में लेखक ने अपनी भावनाओं एवं अनुभवों के आधार पर अपने जीवन में घटित घटनाओं /विचारों इत्यादि को कविता और कहानी के माध्यम से प्रकट करने व कुछ कविताओं में नवयुवकों को प्रेरित करने की कोशिश की गई है। इस पुस्तक में कुछ कविताएं प्रेम पर आधारित अर्थात हमसफ़र के लिए तो कुछ कविताएँ धार्मिक भी लिखी गई हैं।
यादों को "यादों के झरोखे" नामक पुस्तक के रूप में पेश कर रहे हैं जिसमें बेरोजगार नवयुवकों को और आने वाली पीढ़ी को आपबीती बताकर सफलता की ओर बढ़ने का आग्रह किया है। रचनाओं में ईश्वर के प्रति अटूट आस्था है। यह पुस्तक "यादों के झरोखे" यह इंगित करती है कि बिना कड़ी लगन के,बिना आत्म बल के,बिना पुरुषार्थ के,बिना ईश्वर के हुक़्म के सफलता हासिल नहीं की जा सकती।
सरदार बाँदवी
मुहम्मद सरदार खान जिनका उपनाम सरदार बाँदवी है। इनके पिता का नाम मुहम्मद सलीम खान व माता का नाम हफीजुन निशा है इनकी पूर्वजों की पहचान चौदह डेहरी के गौतमों के रूप में अरगल परगना टप्पजार तहसील बिंदकी जिला फतेहपुर उत्तर प्रदेश से की जाती है चौदह डेहरी में से एक ग्राम तपनी है जो इनका आबाई वतन है इनके परदादा वलीदाद खान ग्राम गौरीखानपुर मज़रा हरदौली तहसील बबेरू जिला बाँदा उत्तर प्रदेश के भग्गू खान की लड़की नसीबन बीबी के साथ शादी हुई इनके भाई नहीं थे तो परदादा के बड़े लड़के इनके दादा मज़हर हुसैन खान अपने चारों भाइयों के साथ यहीं मुकीम हो गए और भग्गू खान के जायदाद के मालिक बने। मुहम्मद सरदार खान का जन्म 01/02/1966 में गौरीखानपुर में ही हुआ ।
आपने श्री जे०पी०शर्मा इंटर कालेज बबेरू से सन 1983 में इंटरमीडिएट(कृषि) द्वितीय श्रेणी से उत्तीर्ण किया उसी वर्ष इनको शादी के बंधन से बाँध दिया गया। आपके भाई जनाब हाज़ी अब्दुल अज़ीज़ खान बरकाती जो पुलिस विभाग में जनपद जालौन में कार्यरत थे इन्होंने मुहम्मद सरदार खान को अपने साथ उरई ले गए वहीं इन्होंने गाँधी महाविद्यालय उरई से बी०ए० की डिग्री हासिल की और हिंदी व अंग्रेजी टाइपिस्ट एवं मत्स्य पालन का प्रक्षिक्षण प्राप्त किया
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