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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palयह मेरी शायरी का दूसरा संस्करण है, पहला था
‘आपके अल्फ़ाज़’, जिसे मेरे चाहने वाले पाठकों और शुभचिंतकों ने खूब नवाजा । अब यह संस्करण "ये ग़ज़ल, मेरी - नहीं आपकी है " में बहुत अधिक परिपक्वता, व्यवहारवाद, राष्ट्रवाद और इंसानियत
के प्रति इज्जत है। फिर से आपको जज्बात, नज़ाकत, नफ़ासत, लिहाज़, तहज़ीब, लखनवी अदा मिलेगी और मुझे यकीन है कि आप पूरी तरह से अजीब दुनिया में खुद को डुबो कर खुश होंगे।
एक बार फिर कुबूल कीजिये ये नजराना, जिसका नाम है ये गजल मेरी, नहीं आपकी है...
दीपक सक्सेना
श्री दीपक सक्सेना सामाजिक मुद्दों, समसामयिक मामलों, योग और सात्विक भोजन जैसे विषयों के कवि, शायर और लेखक हैं और साथ ही साथ अंग्रेजी और हिंदी में भी अच्छी पकड़ रखते हैं। वे पेशे से इंजीनियर हैं, लेकिन जन्म से निर्माता हैं। नवभारत टाइम्स, ब्लॉगस्पॉट और उनके फेसबुक पेज "अकेलापुरम" पर नियमित ब्लॉग के अलावा उनके पास फ्लिपकार्ट, अमेज़ॅन और नोशन प्रेस पर आधा दर्जन से अधिक किताबें उपलब्ध हैं। वह नियमित रूप से ट्विटर, इंस्टाग्राम पर राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर लिखते हैं और साथ ही जुड़े भी हैं। उर्दू पर उनकी आज्ञा भी उनकी रचनाओं को एक नया आयाम देती है।
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