’’ये वह शब्द नही’’ कथाकार डॉ0 वरदा शुक्ला कि भावप्रवण विचारोंत्तेजक कहानी संघ्रह है। नारी जीवन के दुःसाध्य संघर्ष का विभिन्न पात्रों के माध्यम से चित्रण करने की विद्या से लेखिका सुपरिचित है। पात्रों की वेदना, समग्र नारी-जाति की चिरन्तन वेदना और विशणता को नाना रूपों में ध्वनित करती है।
लेखिका के चिकित्सीय जीवन में घटित-प्रसंगों की पृष्ठभूमि से कथाएं उत्पन्न एवं प्रेरित होती है। सामाजिक और पारिवारिक परिस्थितियाँ तो हैं ही। कथारस की वर्तमान में प्रासंगिकता