You cannot edit this Postr after publishing. Are you sure you want to Publish?
Experience reading like never before
Sign in to continue reading.
Discover and read thousands of books from independent authors across India
Visit the bookstore"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palयोग भारतीय सनातन परंपरा और ज्ञान का सदैव से हिस्सा रहा है। पिछले सैकड़ों सालों में विदेशी आक्रान्ताओं का राज्य रहने से भारतवर्ष का पुराना ज्ञान जो हमारे महान ऋषियों की देन था, जैसे लुप्त ही हो गया। योग उसमें से एक है। पिछली सदी में जब कुछ लोगों ने योग (विशेष रूप से योगासनों) का प्रचार प्रसार पाश्चात्य देशों में किया, तो यह विश्व भर में योगा (Yoga) के रूप में प्रचलित होकर भारत वापस पहुंचा हैं।
परन्तु क्या योग सिर्फ कुछ आसनों तक ही सीमित है? और इसका महत्व सिर्फ हमें स्वस्थ रखने में ही है? पुराणों और प्राचीन पुस्तकों में क्या योग का मतलब कुछ और भी है? योग के कितने प्रकार है? और क्या योग के विभिन्न प्रकारों द्वारा हम अपने शरीर की रचना से लेकर ब्रह्माण्ड के रहस्यों तक को समझ सकते है? क्या वाकई हमारे प्राचीन ग्रन्थों में ये ज्ञान है?
देवता और असुर कौन है? इन देवी देवताओं और असुरों की उत्पत्ति कैसे हुई? क्या योग विज्ञान से यह सब समझा जा सकता है? और क्या इस रहस्यमयी ज्ञान को जानकर अमरत्व के बारे में समझ सहते हैं? जीवन, मृत्यु और अमरत्व के रहस्य क्या हैं?
इस पुस्तक में लेखक ने सरल भाषा में एक कहानी के सूत्र में पिरोकर इन जटिल विषयों को समझाने का प्रयास किया है, जो लेखक की पिछली पुस्तक ‘‘यती-एक रहस्य’’ के आगे की कहानी है तथा ये पुस्तक ट्राइलॉजी की दूसरी पुस्तक है ।
हरीश चन्द्र शर्मा
जुलाई 1938 मे मथुरा उत्तर प्रदेश में जन्मे हरीश चंद्र शर्मा ने जीवन भर ज्ञान में ही जिज्ञासा दिखाई। पढ़ाई में हमेशा प्रमुख स्थान रखकर उन्होंने ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की और उसके बाद निरंतर 36 वर्षो तक शिक्षा के क्षेत्र में अपनी सेवाएं दी।मुरलीधर गजानंद पॉलिटेक्निक हाथरस (उ. प्र) से सेवानिवृत्त होने के बाद उनका आध्यात्म के प्रति आकर्षण बढ़ा। आध्यात्मिक साहित्य और पुराणों के गहरे अन्वेषण और वैज्ञानिक विचारधारा को एक कथानक में पिरोकर उन्होंने एक पुस्तक ट्राइलॉजी के रूप में प्रस्तुत किया है। यह पुस्तक उस कड़ी की द्वितीय पुस्तक है।
हरीश चंद्र शर्मा की सादगीपूर्ण जीवनशैली और आत्मसात नैतिकता, पारिवारिक मूल्यों तथा उनकी दिवंगत पत्नी निर्मला शर्मा के सहयोग ने, उनकी आध्यात्मिक यात्रा को मार्गदर्शित किया। वर्तमान में उनकी दोनों पुत्रियां और एक पुत्र उच्च पदों पर आसीन हैं और इनके दिखाये मार्ग पर चल रहे हैं।
ग्वालियर (म. प्र) में निवास करते हुए, वे अपनी साहित्यिक रुचियों की देखभाल करते हैं और आध्यात्मिक ज्ञान को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से लोगों तक पहुंचा रहे हैं।
The items in your Cart will be deleted, click ok to proceed.