प्रस्तुत काव्य-संग्रह 'अनुभूतियाँ' में मैंने अनुभूतियों को ही महत्व दिया है। संसार में रहकर सुख और दुख, आनंद और शोक, जय और पराजय, स्वीकार और अस्वीकार, प्रेम और घृणा, स्वार्थ और निस्वार्थ जैसे विभिन्न भावों की जो अनुभूतियाँ की हैं उन्हें छंद, मात्रा, ताल और लय आदि नियमों मैं न बंध कर मुक्त मनसे अभिव्यक्ति करने का प्रयास किया है।