बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने जब कहा था कि मुझे मेरे समाज के पड़े लिखे उन लोगों ने ही धोखा दिया है जो मेरे द्वारा दिलाये गये आरक्षण की बदोलत नौकरिया पाकर अपना ही घर भरते रहे। उन्होंने अपने समाज के लिए कुछ भी नहीं किया। यह वही दो कोड़ी के लोग थे जिनको अगर बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर के संघर्षों के कारण आरक्षण के माध्यम से नौकरियाँ नहीं मिलतीं अथवा राजनीति में एम.एल.ए. अथवा एम.पी. नहीं बनते तो, आज भी जमीदारों की बेगारी ही कर रहे होते?