माँ सरस्वती की असीम कृपा से मुझे लेखन की विधा बड़े ही छोटे उम्र में प्राप्त हुई। इससे मैं हृदय की भावनाओं को शब्दों में पिरो कर आपके समक्ष ह्रदय अमृत पुस्तक में रख सका। किसी कोमल हृदय से निकलने वाली हरेक भावना को प्रेरणा मान कर मैंने कविताओं को रचा है जिसे मैंने हृदय अमृत का नाम दिया है। मैं सभी पाठकों का हृदय से धन्यवाद करता हूँ जो अपना बहुमूल्य समय निकल कर मेरी रचनाओं को पढ़ते हैं।