गढ़वाल की सुगम्य वादियों में बीते बचपन की यह आत्म कथात्मक कृति पाठकों को एक भावनात्मक यात्रा पर ले जाती है। इस पुस्तक में संकलित कहानियाँ बचपन के मासूम पल, छोटे-बड़े डर, पारिवारिक प्रेम, गांव की परंपराएँ और पर्व-त्योहारों की मधुर स्मृतियाँ संजोए हुए हैं।
घने जंगलों के बीच दौड़ लगाने का रोमांच, जंगली जानवरों का भय, लालटेन की रोशनी में पिता के लौटने का इंतज़ार, और साधारण जीवन में छिपी असाधारण खुशियाँ – हर अध्याय में पहाड़ी जीवन की सरलता और गहराई को खूबसूरती से उकेरा गया है।
मेरा बचपन – गढ़वाल की यादें सिर्फ एक संस्मरण नहीं, बल्कि बीते समय की एक झलक है, जो बचपन की मासूमियत, पहाड़ी संस्कृति और वहां के अनमोल अनुभवों से रूबरू कराती है। यह पुस्तक उन सभी के लिए है जो अपने बीते दिनों को याद करना चाहते हैं और गांव के सरल जीवन की सादगी को महसूस करना चाहते हैं।
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