पंचतत्व
यदि पृथ्वी पर जीवन है तो उसका मुख्य कारण है पंचतत्व| यह पंचतत्व हम सभी के जीवन को प्रभावित करता है क्योंकि इसके बिना हम जीवन जीने की कल्पना ही नही कर सकते| यह पंचतत्व अथवा पंचमहाभूत हैं : पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु तथा आकाश| हम सब यह जानते भी हैं कि हमारा शरीर पांच तत्व से बना है किन्तु यह शरीर के किस भाग में हैं? इनका क्या आकर है? इनका रूप कैसा है? इनका प्रभाव कैसे पड़ता है आदि अनेकों प्रश्न के उत्तर नही जान पाते हैं| इस किताब में पंचभूत के संक्षिप्त एवं सरल परिचय देने का प्रयास किया गया है|
महावाक्य
ऐसे वाक्य हैं जो देखने में बहुत छोटे हैं किन्तु उनके अन्दर बहुत गहन विचार निहित हैं| यह महावाक्य मनुष्यों को हर क्षण सम्भालने वाला वाक्य है जो सरल भी है साथ ही कल्याणकारी भी है| मानव शरीर व उसकी इन्द्रिया तथा मन यह केवल संघटन मात्र नही हैं अपितु सुख-दुःख, जन्म-मृत्यु से भिन्न, दिव्य स्वरूप व आत्म स्वरूप है| प्रमुख उपनिषदों में से निम्नवत को महावाक्य माना गया है :
अहं ब्रह्मास्मि – तत्त्वमसि - अयम् आत्मा ब्रह्म - प्रज्ञानं ब्रह्म |