ओशो की कलम से राधा-कृष्ण के भावों का अलंकरण..........
कृष्ण अकेले हैं जो शरीर को उसकी समस्तता में स्वीकार कर लेते हैं, उसकी टोटेलिटी में। यह एक आयाम में नहीं, सभी आयाम में सच है। सभी बच्चे रोते हैं। एक बच्चा सिर्फ मनुष्य-जाति के इतिहास में जन्म लेकर हॅंसा है। यह सूचक है, इस बात का कि अभी हॅंसती हुई मनुष्यता पैदा नहीं हो पाई। भविष्य में कृष्ण की और होगी जरूरत, चमकते ही जाएंगे कान्हा।