शबनम की साहित्यिक यात्रा में शामिल सभी साथियों को एक साथ पिरो कर काव्य संकलन के रूप में प्रस्तुत करने में अपार हर्ष का अनुभव हो रहा है,,
शबनम अर्थात् ओस की बूंदे संपादक महोदय ने (श्वेत वस्त्र में लिपटे हो ज्यों) सभी को एकाकार कर दिया हो जैसे,,
शबनमी ओस की बूंदे निर्मल चाँदनी की छत्र छाया में विराजमान होकर अद्भुत रस से परिपूर्ण कविताएँ,अनुभूति के अलग-अलग आयाम में मन को मोह लेती है!!
जीवन के नैतिक मूल्यों और संस्कारों को साथ लिए आने वाली पीढ़ियों के लिए मन में सुगंध प्रेषित करती है।
संपादक ओम प्रकाश लववंशी ‘संगम’ ने एक अनूठे अंदाज में इस काव्य संग्रह को प्रकाशित करके सभी साहित्यकारों को एक सूत्र में पिरोया है।
युवा सोच वाले कवियों को साथ लेकर नई कविता के सशक्त हस्ताक्षर किए हैं।
हिंदी साहित्य सागर अत्यंत विशाल हैं जिसकी गहराइयों में असंख्य बेशकीमती मोती छिपे हुए हैं, उन मोतियों को सहज सुंदर और बेहतरीन तरीके से पिरोकर आपके समक्ष प्रस्तुत किया है, इस साहित्यिक पड़ाव में 42 रचनाकारों का साथ सुगंधित पुष्प की भांति हैं जो अपनी खुशबू से महक उठता है,,
सृजन हेतु सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई और अभिनंदन!!
प्रभु से प्रार्थना हैं कि सभी कवियों की रचना धर्मिता को अपने आलोक से आलोकित कर सुधि पाठकों में चेतना और आनंद का संचार कर साधना को सफल बनाएं।।