संक्षिप्त परिचय-
श्री कमलेश पुण्यार्क का जन्म बिहार प्रान्त के अरवल जिले के मैनपुरा ग्राम में २०-९-१९५३ई.को शाकद्वीपीयब्राह्मण कुलभूषण पंडित श्री श्रीवल्लभ पाठकजी एवं श्रीमती सरस्वती देवी के घर में हुआ। आपकी शिक्षा मात्र स्नातक की है, किन्तु लेखन और प्रकाशन जगत में काफी पैठ है। आपकी बहुआयामी लेखनी से हिन्दी साहित्य के अतिरिक्त तन्त्र, ज्योतिष, योग, वास्तु, चिकित्सा जगत को काफी कुछ लब्ध हुआ है विगत पचास वर्षों में । आप एक जाने माने ब्लॉगराइटर भी हैं। The Best Hindi Blogs की सूची में आपके बहुचर्चित ब्लॉग www.punyarkkriti.blogspot.com को शामिल किया गया है। आपका एक निजी साइट भी है-www.punyarkkriti.simplesite.com यूट्यूब चैनल पुण्यार्ककृति पर ज्योतिष, वास्तु, योग, तन्त्रादि विविध विषयों पर आपके व्याख्यान भी उपलब्ध हैं। विशुद्ध गृहस्थ आश्रम में रहकर, श्री योगेश्वर आश्रम का संचालन करते हुए, “ सर्वेभवन्तु सुखिनः,सर्वे सन्तु निरामयाः” का पावन संकल्प लेकर,योग और नाड्योपचारतन्त्र के प्रचार-प्रसार में आपने काफी भ्रमण भी किया है। लुप्तप्राय विद्याओं को पुनरुज्जीवित करने में आप सतत प्रयत्नशील हैं। ‘सरस्वती’ के वरद पुत्र द्वारा रचित इन शोधपरक पुस्तकों का प्रकाशन लोकहित-पथ में मील का एक पत्थर तुल्य है।
लेखक की कुल कृतियाँ-
निरामय(शाश्वत प्रेम की अमर कथा-वृहद् उपन्यास), पुनर्भव(पुनर्जन्म की सत्यता को समर्पित उपन्यास), अधूरीपति- आंचलिक उपन्यास, अधूरा मिलन(यात्रा वृत्तान्त परक उपन्यास),शंख की चूड़ी(कहानी संग्रह), पुण्यार्कवास्तुमंजूषा, पुण्यार्कवनस्पतितन्त्रम्, कालसर्पयोगःकारण और निवारण, पुण्यार्कज्योतिषदीपिका, नाड्योपचारतन्त्रम्, शिरादाब(एक्यूप्रेशर), सूर्यविज्ञानःआत्मचिन्तन, बाबा उपद्रवीनाथ का चिट्ठा(तन्त्र-योग की गुत्थियों पर आधारित उपन्यास), मगदीपिकाःशाकद्वीपीय ब्राह्मण लघुशोध, वास्तुपूजापद्धति, भोंचूशास्त्री की वेदना (व्यंग संग्रह), व्यंग्य-वेदना, अन्य शताधिक आलेख ।