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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Palपरिचय ॐ साईं राम लेखन की शुरुआत मैंने उस समय की जब मै नववी कक्षा मे थी। लेखन मेरे शौख तक ही सिमित था। मै जो कुछ भी देखती उसे लिखना मेरा नित नियम बन गया। कभी कभी कल्पनाओ का भी समावेश किया है। एक साधारण ग्रहणी होने के नाते मेRead More...
परिचय
ॐ साईं राम
लेखन की शुरुआत मैंने उस समय की जब मै नववी कक्षा मे थी। लेखन मेरे शौख तक ही सिमित था। मै जो कुछ भी देखती उसे लिखना मेरा नित नियम बन गया। कभी कभी कल्पनाओ का भी समावेश किया है। एक साधारण ग्रहणी होने के नाते मेरी लेखनी मे परिवार का उल्लेख अधिक देखने को मिलेगा। यहाँ आप मेरे द्वारा रचित कविताएं एवम कहानियाँ देख सकते हैँ। पुस्तक लिखने के पीछे उद्देश्य है, खुद से खुद का परिचय। आशा करती हूं आपको मेरी लेखनी मुझसे जोड़ पायेगी। आपके ह्रदय को स्पर्श करने में सक्षम हुई तो मेरी लेखनी सार्थक है।
This Chalisa is written by me to dedicate in the lotus feet of Shri Sai Baba. This Chalisa is a lucky charm for me. I got so much support after writing it. My mother and father give seva for mankind under blessings of Shri Satya Sai Baba. My mother is the inspiration source of this Chalisa. As she wanted me to write the Chalisa. With all the flowers within my heart I dedicate myself in the lotus feet of Shri Satya Sai Baba Read Less...
ओम् सांई राम
दिन में बीसियों बार सोरी कहने वाला पुरुष शायद ही इतनी बार ग़लत होता होगा। सोरी कहने का कारण सिर्फ ये कि किसी का दिल तूटने से बचता है तो सोरी बोलने में हर्ज क्या ह
ओम् सांई राम
दिन में बीसियों बार सोरी कहने वाला पुरुष शायद ही इतनी बार ग़लत होता होगा। सोरी कहने का कारण सिर्फ ये कि किसी का दिल तूटने से बचता है तो सोरी बोलने में हर्ज क्या है !
' आई लव यू ' नहीं बोलता तो ग़लत गिफ्ट नहीं लाता तो ग़लत , घूमने नहीं ले जाता तो ग़लत , कोई स्पेशल डे याद नहीं रखता तो ग़लत , लेकिन अगर वो आपकी आंखों में आंसू नहीं देख सकता तो ???
ऐसी ही कुछ कृतियां पेश है आपके समक्ष जिनमें ये दर्शाने का प्रयास है कि हर बार पुरुष गलत नहीं होता ! की बार परिस्थितियों के आधिन हो वह जो काम करता है उसे हम अपनी दृष्टि से जैसा देखा वैसा बयान कर दिया । मेरा यह मानना है कि स्त्री के मन को समझना कोई मुश्किल नहीं , दुविधा तो तब हो जब पुरुष को समझना हो । क्योंकि दिल खोलकर न रोना उसे आता है न बोलना । शायद उसके पास समय ही नहीं खुद से मिलने का ।
यह पुस्तक समाज के दो आधार स्तंभ एक दूसरे से किस प्रकार सामंजस्य बनाकर चल रहे हैं और पुरुष की अच्छाइयों पर ध्यान केंद्रित कर के लिखी गई है ,एक नई सोच के साथ । धन्यवाद
इंसान अपने जीवन में अनेक किरदार निभाता है। एक स्त्री एक ही समय में जितने किरदार निभाती है, वो भूल जाती है कि उसकी असली पहचान वह स्त्रीत्व है जो उसके अंदर निहित है और अपने आप से दूर
इंसान अपने जीवन में अनेक किरदार निभाता है। एक स्त्री एक ही समय में जितने किरदार निभाती है, वो भूल जाती है कि उसकी असली पहचान वह स्त्रीत्व है जो उसके अंदर निहित है और अपने आप से दूर हो जाती है। फिर समय आता है जब उसे एहसास होता है अपने स्त्री होने का, अपने आप से जुदा होने का। ये वो समय है जहाँ वो अपने स्त्री होने के किरदार और बाकि किरदारों के बीच में सामंजस्य बनाती है, जान लगा देती है। तभी तो हम "नायिका" कहते हैँ। इंसान होते हुए भी देवी की उपाधि से जो सम्मानित है।
सिर्फ जीत से मतलब नहीं, संघर्ष ही उसकी असली कहानी है। ऐसी ही कुछ कहानियाँ और कविताएं "नायिका " के जीवन को दर्शाती हैँ। स्त्री के विशाल चरित्र को प्रस्तुत करती है "नायिका"।
It's a world full of imaginations that a child has, nobody understood that. How he comes out of it that's interesting. "Chirag stay here don't go outside", his mother shouted out. Still Chirag doesn't stopped and run out. His mother ran after him. She caught him and asked ,” Where are yo Read More...
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