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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh PalShamoel ahmedBirth ; 4 May 1943birth place ; Bhagalpur, Bihar Some major works; Singardan, River, Pandemic, Chamrasur, Ai Dile Awara, Girdab, 21 Best Stories Majlis Farog Urdu Awarded International Award for Doha-Qatar. Awards of Uttar Pradesh Urdu Academy and Bihar Urdu Academy. Writing with equal rights in Hindi and Urdu. Perfect for bold, adventurous, sex and psychology-centric subjects, a strange mix of history, philosophy, reality and satire in stories. Stories translated into many Indian languages, the novel "River" in English and the story collection "The Dressing Table" published by JuRead More...
Shamoel ahmed
Birth ; 4 May 1943
birth place ; Bhagalpur, Bihar
Some major works; Singardan, River, Pandemic, Chamrasur, Ai Dile Awara, Girdab, 21 Best Stories Majlis Farog Urdu Awarded International Award for Doha-Qatar. Awards of Uttar Pradesh Urdu Academy and Bihar Urdu Academy. Writing with equal rights in Hindi and Urdu. Perfect for bold, adventurous, sex and psychology-centric subjects, a strange mix of history, philosophy, reality and satire in stories. Stories translated into many Indian languages, the novel "River" in English and the story collection "The Dressing Table" published by Just Fiction Germany.
Bachelor in Civil Engineering. Retired as Chief Engineer in Public Health Engineering Department, Government of Bihar and now independent writing.
Achievements
मैं उसे गौर से देख रहा था। कैसी लगती है सोई हुई औरत.... पेट खुला हुआ.... नाभि के क्षेत्र में लकीरें सी..... प्रसव के चिन्ह.... पाँच बच्चे जने फिर भी कमर के गिर्द गोश्त की तह मुझे उत्तेजित करत
मैं उसे गौर से देख रहा था। कैसी लगती है सोई हुई औरत.... पेट खुला हुआ.... नाभि के क्षेत्र में लकीरें सी..... प्रसव के चिन्ह.... पाँच बच्चे जने फिर भी कमर के गिर्द गोश्त की तह मुझे उत्तेजित करती है। क्या मैं इस औरत से मुहब्बत करता हूँ? या हमारे बीच महज़ सेक्स है? सेक्स ने मर्द को भी अधूरा रखा है और औरत को भी। हम दोनों अधूरे हैं और हमें मिलाने वाली कड़ी है सेक्स। शायद हम किसी और तरह एक नहीं हो सकते। हमारी आत्मा में सन्नाटा है। हम इसे भरते हैं गाल से गाल सटाकर.... देह से देह रगड़कर.... इस एहसास के बाद मेरी शक्ल क्यों सूअर जैसी हो जाती है? [गिर्दाब]
“आकाओं को कभी कुछ नहीं होता। कमिटी भी उनकी है जाँच भी उनकी है। कोतवाल भी उनका है। तुम पहले अंग्रेजों के गुलाम थे, अब इनके गुलाम हो। ये हत्यारों का जश्न मनाते हैं। गोडसे का मंदिर बनाया। सोहराब एनकाउन्टर केस में सबको क्लीन चिट मिल गयी और सीना छप्पन इंच का हो गया। शासन किसी का भी हो शोषण हमेशा आम आदमी का होगा। आम आदमी की हैसियत एक बटेर से ज्यादा की नहीं है और मैं हर दौर में रही हूँ और हर दौर में रहूँगी।” [चमरासुर]
The Epidemic is a novel weaved in a political milieu. Politics of the eighties and nineties was not the politics we have grown with. The new generation of India is in a new realm of politics. We have all seen it from close quarters and have faced the consequences. If one wants to see a live documentation of the politics that have grown around the issues of social justice and secularism over the last two decades then one should read this novel.
The Epidemic is a novel weaved in a political milieu. Politics of the eighties and nineties was not the politics we have grown with. The new generation of India is in a new realm of politics. We have all seen it from close quarters and have faced the consequences. If one wants to see a live documentation of the politics that have grown around the issues of social justice and secularism over the last two decades then one should read this novel.
चमरासुर बदलते परिवेश की कहानी है जो इस तथ्य को दर्शाती है कि भारतीय लोकतंत्र में फासीवाद ने किस तरह अपने पंजे गाड़ दिए हैं | चमरासुर खुद को महिषासुर का वंशज समझता है और अंबेडकर के आ
चमरासुर बदलते परिवेश की कहानी है जो इस तथ्य को दर्शाती है कि भारतीय लोकतंत्र में फासीवाद ने किस तरह अपने पंजे गाड़ दिए हैं | चमरासुर खुद को महिषासुर का वंशज समझता है और अंबेडकर के आंदोलन को पुनर्जीवित करना चाहता है लेकिन जातिवाद के दंश का शिकार हो जाता है |
झाग और कायाकल्प जैसी कहानियों से गुजरने का मतलब है स्त्री-पुरुष के सम्बन्धों के बीच उन निजी लम्हों से गुजरना है जहां पूर्ण समर्पण के बावजूद भी स्त्री अपनी आंतरिक सुरक्षा और स्वतंत्रता के लिए अपने तमाम अंतर्विरोधों और कुंठाओं के साथ संघर्षरत दिखाई देती है |
लम्बा लेट सिर्फ पिता-पुत्र के सम्बन्धों की कहानी नहीं है बल्कि इस तथ्य को भी उजागर करती है कि अलौकिक प्रेम का प्रवाह दो पुरुषों के बीच भी हो सकता है |
नमलूस का गुनाह और चुनवा का हलाल मजहब में हस्तक्षेप है |
सिंगारदान उस त्रासदी को दर्शाता है जो किसी समुदाय को उसकी धरोहर से वंचित कर देने की त्रासदी है |
गिर्दाब स्त्री-पुरुष सम्बन्धों पर आधारित मनोवैज्ञानिक उपन्यास है | उपन्यास की कहानी प्रेम-घृणा सूत्र से बन्धी हुई है | पूर्ण समर्पण के बावजूद भी स्त्री अपनी आंतरिक सुरक्षा और स
गिर्दाब स्त्री-पुरुष सम्बन्धों पर आधारित मनोवैज्ञानिक उपन्यास है | उपन्यास की कहानी प्रेम-घृणा सूत्र से बन्धी हुई है | पूर्ण समर्पण के बावजूद भी स्त्री अपनी आंतरिक सुरक्षा और स्वतंत्रता के लिए अपने तमाम अंतर्विरोधों और कुंठाओं के साथ संघर्षरत दिखाई देती है |
नायक 50 वर्ष का शादीशुदा पुरुष है और नायिका 40 वर्ष की विवाहित स्त्री है | दोनों के अपने बच्चे हैं लेकिन दोनों एक दूसरे के प्रेम में पड़ जाते हैं और उनमें शारीरिक सम्बन्ध स्थापित हो जाता है | पुरुष उसको दूसरे शहर में ले आता है जहां स्त्री अपने पति को छोड़ कर पुरुष की रखेल बनकर रहने लगती है | स्त्री पुरुष के प्रेम में डूब जाती है लेकिन पुरुष अब उलझन महसूस करने लगता है | उसे लगता है उनके बीच प्रेम नहीं सेक्स है और वो स्त्री-देह के गिर्दाब में फंस गया है | स्त्री के साथ सहवास करते हुए उसे अपनी शक्ल सूअर की तरह लगती है | उसे लगता है कि वो इसी काम के लिए उसके पास आता है | वो घृणा से भर जाता है लेकिन स्त्री पर नजर पड़ती है तो उसके साथ हमबिस्तर हुए बिना नहीं रहता | आखिरकार स्त्री से छुटकारा पाने के लिए वो उसकी हत्या की योजना बनाता है |
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