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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal
परित्यागता एक ऐसा उपन्यास है जो सत्य घटना पर आधारित है। एक पत्नी जब पति की भावनाओं की निरंतर अवहेलना करती है , उसकी शारीरिक आवश्यकताओं की पूरती पर ध्यान नहीं देती और पत्नी धर
परित्यागता एक ऐसा उपन्यास है जो सत्य घटना पर आधारित है। एक पत्नी जब पति की भावनाओं की निरंतर अवहेलना करती है , उसकी शारीरिक आवश्यकताओं की पूरती पर ध्यान नहीं देती और पत्नी धर्म नही निभाती तब पति की शहनशक्ति जवाब दे देती है और पति को ऐसी पत्नी के परित्याग के सिवाय कोई दूसरा चारा नज़र नहीं आता। गोपाल न्यायाधीश हैं और शारदा उनकी पत्नी। १० साल के वैवाहिक जीवन में शारदा ने अपने पति गोपाल को कई वर्षों से संभोग से वंचित रखा, गोपाल के मातापिता का सम्मान नहीं किया। गोपाल शारदा का परित्गोयाग कर देता है और अपने घर में काम करनेवाली नौकरानी रेखा से शादी कर लेता है।गोपाल द्वारा परित्याग के पश्चात शारदा की समाज, परिवार मे उपेक्षित व्यवहार को दर्शाया गया है । अंत में परिवार और समाज के उपेक्षित व्यवहार के कारण शारदा का मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है, वह अपने व्यवहार से शर्मिंदगी महशूस करती है और गोपाल से क्षमा माँगकर हार्टअटेक की वजह से मर जाती है।गोपाल शारदा की माँग में अंतिम बार सिंदूर भरता है और उसका अंतिम संस्कार करता है और इलाहाबाद में संगम में अस्थि विसर्जन करता है। इस उपन्यास में गोपाल और रेखा के चरित्र को आदर्श दिखाया गया है और शारदा के पिता भाईयों बहिनों को गोपाल के प्रति सहानुभूति पूर्ण रवैया दिखाया गया है जबकि ज़्यादातर मायके वाले बेटी की ही तरफ़दारी करते हैं और दामाद को दोषी मानते हैं
"वो सुबह कभी तो आएगी " पुस्तक के बारे में
यह एक सच्ची घटना पर आधारित मार्मिक कहानी है जो पाठकों को द्रवित कर देगी। श्यामा नन्द झा बिहार के एक गाँव के समृद्ध किसान शंभु नाथ
"वो सुबह कभी तो आएगी " पुस्तक के बारे में
यह एक सच्ची घटना पर आधारित मार्मिक कहानी है जो पाठकों को द्रवित कर देगी। श्यामा नन्द झा बिहार के एक गाँव के समृद्ध किसान शंभु नाथ झा के बेटे हैं। श्यामा नन्द बड़ी तीक्ष्ण बुद्धि के धनी मृदु स्वभाव के व्यक्ति हैं। उन्होंने अपने गाँव मुंडका में ही प्रायमरी क्षिक्षा प्राप्त की और हायर सिकंदर की कशिश पटना के कान्वेंट स्कूल से की। मेधावी क्षेत्र होने की वजह से उन्होंने ११वीं की बोर्ड परीक्षा में मेरिट में १०वां स्थान प्राप्त किया और भारत सरकार की नेशनल मेरिट स्कालरशिप प्राप्त की। बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी सिंदरी से मैकेनिकल की डिग्री हासिल की और भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स में नौकरी की। उनकी एक पुत्री श्रुति और पुत्र संजय हुए। संजय पिता से भी बढ़कर मेधावी था। उसने कंप्यूटर में डिग्री और आईआईएम कोलकत्ता से एम बी ए की डिग्री हाशिल की और मल्टीनेशनल बैंक में मुंबई में नौकरी की। श्रुति की शादी हो गई पर संजय की शादी नहीं हुई। ३५ वर्ष की आयु में संजय को डेंगू की बीमारी हुई और ५ दिनों में ही कोकिलनें अस्पताल में आखिरी सांस ली। संजू के दुःख से मातापिता के दारुण दुःख की हृदय विदारक सत्य घटना को वर्णित करने का प्रयास किया है इस पुस्तक में।
ये उपन्यास मध्य प्रदेश के एक छोटेसे गाँव के गरीब लड़के की असल जिंदगी पर आधारित है। इस उपन्यास को आत्मकथा के रूप में प्रस्तुत किया गया है । कहानी मध्य प्रदेश के एक छोटे से गाँव में ज
ये उपन्यास मध्य प्रदेश के एक छोटेसे गाँव के गरीब लड़के की असल जिंदगी पर आधारित है। इस उपन्यास को आत्मकथा के रूप में प्रस्तुत किया गया है । कहानी मध्य प्रदेश के एक छोटे से गाँव में जन्म से शुरू होती है और उसके जीवन के ढलान पर खत्म होती है। मृत्यु आने पर और पुनर्जन्म में पूरी होने की अभिलाषा । इस उपन्यास में आपको एक पिछड़े गाँव में जीवन की झलक दिखेगी , गाँव के लोग आज भी किस तरह अन्धविश्वासों में जीते हैं इस सत्यता से भी आप रुबरु होंगे। जीवन संघर्ष का दूसरा नाम है। इस मायावी संसार में कोई भी प्राणी संघर्ष से बच नहीं सकता। जब तक जीवन है ,संघर्ष प्राणी के जीवन में साये कि तरह चलता है। मनुष्य, मनुष्य के सिवाय अन्य प्राणियों के उदगार नहीं जान सकता इस संघर्ष मय जीवन में। मनुष्य को भावनाओं की आंधी से जूझना पड़ता है। द्रढ़ आत्मविश्वास, आत्म संयम एवं धैर्य का मजबूती से दामन थामे रहने वाला और मजबूत संकल्प वाला मनुष्य जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयों से मजबूती से बिना तनिक भी बिचलित हुए सामना करता है और जीवन के संघर्ष में अन्ततः कठिनाइयों को परास्त करके विजयी होता है और जीवन में नई उचाइयां छूता है और जीवन सही मायनों में जीता है। गरीब लड़के के जीवन में बचपन के संस्कारों की भी झलक दिखाई देगी। माता पिता के स्वम के व्यव्हार ,अचार विचार किस हद तक बच्चों के कोमल मन को प्रभावित कर सकते है ,इस बात पर विशेष रूप से जोर दिया गया है। मनुष्य का अधिकार सिर्फ कर्म करने पर है ,फल देना या ना देना केवल ईश्वर के हाथ में है। मनुष्य को यह भी याद रखना होगा कि भगवान् उसी इंसान कि मदद करता है जो मनुष्य अपनी खुद की सहायता करता है।
इस किताब में लेखक के सरकारी और निजी संस्थानों में काम करने के अनुभवों को बहुत ही विस्तार में लिखा गया है। लेखक ने इन विभिन्न व्यावसायिक संस्थानों में क्या क्या काम किये उनका प
इस किताब में लेखक के सरकारी और निजी संस्थानों में काम करने के अनुभवों को बहुत ही विस्तार में लिखा गया है। लेखक ने इन विभिन्न व्यावसायिक संस्थानों में क्या क्या काम किये उनका पूरा वर्णन दिया गया है। प्रबंधन की निपुणता से ही सभी कार्य निर्धारित समय पर और निर्धारित गुणवत्ता और निर्धारित बजट के अनुसार संपन्न किये जाते हैं। लेखक ने कई gas turbine based combined cycle projects को project manager की हैसियत से सफलता पूर्वक पुरे किये। बाद में 1000 MW के थर्मल पावर प्रोजेक्ट के SENIOR VICE PRESIDENT के रूप में प्रोजेक्ट इंचार्ज रहे। लेखक ने अपने कोयला खदान में काम करने के अनुभवों, मजदूर नेताओं से कैसे डील किया जाता है इस बात का इस किताब में जिक्र है।हिंदुस्तान फ़र्टिलाइज़र कारपोरेशन में कटु अनुभवों की जानकारी से पाठकों में जागरूकता आएगी। मेहनत , सच्ची लगन और ईमानदारी ही सफलता की कुंजी है , अनुभवों से प्रतिलक्षित होता है। भृष्ट प्रेस और राजनीतिक नेताओं से कैसे कैसे निपटा जाता है ऐसी समस्याओं को प्रबंधकों ने अनुभव तो किया होगा पर लेखक ने उन अनुभवों को किताब के रूप में अभी तक नहीं देखा। प्रेरणा (MOTIVATION) से कैसे एक गुमराह कर्मचारी को एक लगनशील और ईमानदार कर्मचारी बनाया जा सकता है ,यह उदाहरण इस किताब में बखूबी वर्णित किया गया है। संक्षिप्त में यह कहना अतिसयोक्ति न होगी की यह किताब उन पाठकों के लिए बहुत लाभदायक है जो विभिन्न क्षेत्रों में प्रबंधन कार्य कर रहे हैं।
जन्मों के कर्मफल किताब जानवरों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रस्तुत करती है। कुत्ते की स्वामी भक्ति और समझदारी के कई वास्तविक क़िस्से इस किताब में उल्लेख किये हैं। साथ ह
जन्मों के कर्मफल किताब जानवरों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रस्तुत करती है। कुत्ते की स्वामी भक्ति और समझदारी के कई वास्तविक क़िस्से इस किताब में उल्लेख किये हैं। साथ ही कुत्तों की दुर्दशा और लोगों द्वारा उनपर शर्मनाक हरकतों को भी बताया गया है । कुत्ते पालने के धार्मिक कारण, दोष , कुत्तों को रोटी खिलाने के कारण हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार बताया गया है। गाय की जीवनी, बंदर तोते की जीवनी के साथ हाथी और ऊँट के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है । प्राणियों को उनके करमानुसार विभिन्न योगियों में जन्म लेना पड़ता है और पाप पुण्य कर्मों की पीड़ा और सुख का अनुभव करना होता है। हिंदू धर्म के अनुसार अनेक विद्वानों के विचार इस विषय पर उद्धृत किये गये हैं । प्राणियों को पूर्व जन्मों की जानकारी नहीं होती क्योंकि ईश्वर चाहता है कि जिस भी योनी में प्राणी रहे उस योनी में खुश रहे इसलिए कोई भी प्राणी उस योनी में रहते हुए मरना नहीं चाहता चाहे वो मानव हो, या पशु या निम्न कोटि का जीव।इतनी सारी जानकारी १०० पन्नों में समेटने की लेखक ने भरपूर कोशिश की है । पाठकों को यह पुस्तक पसंद आयेगी ऐसी उम्मीद है लेखक को।-
गुमराह हमराही उपन्यास तीन अलगअलग जोड़ों के वैवाहिक जीवन की असफलता पर लिखी गई है। यह सत्य कथा पर लि गई है तथा इसके पात्र काल्पनिक हैं। लेखक के अपने स्वयं के निरिक्षण स
गुमराह हमराही उपन्यास तीन अलगअलग जोड़ों के वैवाहिक जीवन की असफलता पर लिखी गई है। यह सत्य कथा पर लि गई है तथा इसके पात्र काल्पनिक हैं। लेखक के अपने स्वयं के निरिक्षण से उन्होंने तीन कथाएं चुनी, उसका विश्लेषण भी किया और उसका निदान भी सुझाया। इन तीन कथाओं के नायक नायिका के जोड़े हैं दिनेश-पंकजा। शलभ-रीना और गौरव-साइना। तीनों का विवाह उनके और उनके घरवालों की मर्जी से हुआ। और शुरू के कुछ सालों में गृहस्थी भी अच्छी चली लेकिन कुछ साल बाद ही उनमे मनमुटाव और तनाव शुरू हो गया और वैवाहिक जीवन में कटुता आ गई। दिनेश की पंकजा से दूसरी शादी थी क्योंकि उनकी पहली पत्नी की शादी के एक साल बाद ही मृत्यु हो गई थी। दिनेश अपनी पहली पत्नी दीपा से बेहद प्यार करते थे इसलिए पंकजा से शादी के बाद भी वह उसे बहुत याद करते थे और उनका यह प्रेम भी उन्होंने पंकजा से कभी नहीं छुपाया और उसे उन्होंने उतना ही प्यार दिया जितना एक पति को अपनी पत्नी को देना चाहिए। फिर भी पंकजा का शक्की स्वभाव विचारों की अपरिपक्वता से संबंधों में दरार आ गई। दिनेश ने दुखी होकर सब सहा और अंदर से अकेले हो गए। हालाँकि उन्होंने तलाक नहीं लिया। शलभ रीना की भी शादी उनकी मर्जी से धूमधाम से हुई लेकिन शादी के पश्चात् सुहागरात में ही रीना ने शलभ से कहा कि शादी से पहले उसका किसी लड़के से प्रेम था। शलभ ने उसे शांत चित्त से सुना और कहा की अकसर कई बार ऐसी जवानी के जोश में होता है लेकिन शादी के बाद सब भूलकर अपनी नई जिंदगी शुरू करते है और सफल होते है। शलभ ने कोई किन्तु अपने मन में नहीं रखा परन्तु रीना अपने प्रियवर को भूल न पाई और दोनों के संबंधों में दरार पड़ गई और उनका तलाक हो गया।
The book titled “ABHILASHA PUNARJNM ME PUNARMILAN KI” is in memory of his 1st wife Rama who expired just one year after marriage due to burst of appendix. The author could not perform her last rites as he was that time in college but it did not deter him to appear in final year exam and pass with 76% marks. She was his first love and love for her is so intense that he is not able to forget her even 50 years after death though he is very happy with his present
The book titled “ABHILASHA PUNARJNM ME PUNARMILAN KI” is in memory of his 1st wife Rama who expired just one year after marriage due to burst of appendix. The author could not perform her last rites as he was that time in college but it did not deter him to appear in final year exam and pass with 76% marks. She was his first love and love for her is so intense that he is not able to forget her even 50 years after death though he is very happy with his present beautiful and lovable wife Purnima. The author goes through his childhood, different phases of life, struggles and achievement but the main and most attractive part of the book is expression of intense love and deep sorrow of losing his wife Rama. The book is written in six months and feeling was so intense that he wept throughout while writing the book. The book is highly appreciated by many people of eminence. He desire for reunion with Rama in next birth was fulfilled by Almighty. To know how, you need to read this book. Author is confident that once you start reading the book, you would not stop till you finish reading and at the end you will have tears in your eyes as many esteemed and eminent readers had. “Readers are requested to please send their views about book to: bltiwari@gmail.com
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