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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh PalMirza Hafiz Baig was born on 28th August 1964. He has been working for Bhilai Steel Plant (SAIL) since 1985. He has written many stories for magazines, e-magazines and literary websites and has published two books, Bohani and Meri Kahaniyan Abhaasi Duniya Se-1.Read More...
Mirza Hafiz Baig was born on 28th August 1964. He has been working for Bhilai Steel Plant (SAIL) since 1985. He has written many stories for magazines, e-magazines and literary websites and has published two books, Bohani and Meri Kahaniyan Abhaasi Duniya Se-1.
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... जैसे एक छोटी बच्ची... माँ की दुलारी और बाप की लाड़ली... कैसे वह गम्भीर हो जाती है? जैसे वह बड़ी हो गई हो... पिता की अकाल मृत्यु ने जैसे उसे समय से बहुत पहले ही बड़ा कर दिया हो... और यहाँ से शुर
... जैसे एक छोटी बच्ची... माँ की दुलारी और बाप की लाड़ली... कैसे वह गम्भीर हो जाती है? जैसे वह बड़ी हो गई हो... पिता की अकाल मृत्यु ने जैसे उसे समय से बहुत पहले ही बड़ा कर दिया हो... और यहाँ से शुरू होती है उस बच्ची के अनवरत संघर्षों की लोमहर्षक गाथा।
लेकिन साथ-साथ ही स्नातक पत्नी के अनपढ़ पति चंदू, उसकी पत्नि और खेती बाड़ी पर नज़र गड़ाए बैठे उसके मितान गजानंद; गजानंद की पत्नी सावित्री; सावित्री के पूर्व-प्रेमी रेतराम और तंत्र-मत्र की शक्ति से नोटों की बरसात करवाने में सक्षम, गांव के बैगा भगतराम आदि की गाथाएँ समानांतर चलती हुई पूरे गांव की ही कहानी कहती है।
टोन्ही, एक टिपिकल उपन्यास जो कई मरहलों से गुज़रते हुए; लेखक के अपने खास अंदाज़ में अजाम को पहुंचता है।
ये दो लफ्ज़ ही तो भारी होते हैं। कई बार कहने से, नहीं कहना बेहतर होता है। और वैसे भी एक कहानीकार के पास कहने को कहानियों से बेहतर कुछ नहीं होता।
तो मैं यहाँ ज़्यादह कुछ कहूंगा भी नही
ये दो लफ्ज़ ही तो भारी होते हैं। कई बार कहने से, नहीं कहना बेहतर होता है। और वैसे भी एक कहानीकार के पास कहने को कहानियों से बेहतर कुछ नहीं होता।
तो मैं यहाँ ज़्यादह कुछ कहूंगा भी नहीं। सिवाय इसके कि मेरी यह किताब, जैसा कि नाम से ही ज़ाहिर है, मेरे शुरू के कहानी संग्रह ‘मेरी कहानियाँ आभासी दुनिया से-1.’ का ही दूसरा हिस्सा है।
व्हीलचेयर भागी जा रही है। मुख्य-द्वार, बरामदा, गलियारे, भीड़ जिनके चेहरे नहीं है। पैर हैं, घुटने हैं या पेट हैं; क्योंकि मैं नज़र इतनी ही उठा सकता हूँ कि लोग कमर तक मुझे नज़र आयेंं। सब
व्हीलचेयर भागी जा रही है। मुख्य-द्वार, बरामदा, गलियारे, भीड़ जिनके चेहरे नहीं है। पैर हैं, घुटने हैं या पेट हैं; क्योंकि मैं नज़र इतनी ही उठा सकता हूँ कि लोग कमर तक मुझे नज़र आयेंं। सब पीछे छूटते जा रहे हैं। यात्रा एक कमरे तक पहुंचकर घड़ी भर का विश्राम पाती है, फिर वही भागा-दौड़ी...
इसी पुस्तक से...
एक कथाकार आखिर झूठ ही तो गढ़ता है। ये अलग बात है कि लोग उसके झूठ पर यकीन करने लगते हैं; तो यह उसकी क्षमता ही है।है। लेकिन कई बार कथाकार खुद अपने झूठ के जाल में उलझकर रह जाता है। वह अपन
एक कथाकार आखिर झूठ ही तो गढ़ता है। ये अलग बात है कि लोग उसके झूठ पर यकीन करने लगते हैं; तो यह उसकी क्षमता ही है।है। लेकिन कई बार कथाकार खुद अपने झूठ के जाल में उलझकर रह जाता है। वह अपने झूठ को ही आत्मसात कर बैठता है। वह अपनी कथा के पात्रों के साथ ही हसता है, रोता है।है। लेकिन उसकी कल्पना-लोक से कोई किरदार उसकी वास्तविक दुनिया में आ धमके और उसके सत्य होने का दावा करने लगे तो कथाकार पर क्या गुज़रेगी...
कुछ खास और खूबसूरत कहानियों का मजमुआ है किताब। जिसमें 'ख्वाब, हकीकत और अफसाना', 'अब्बूजी की आरामकुर्सी', और 'ठगिनी' जैसी, लेखक की चर्चित और पसंदीदह कहानियाँ शामिल हैं। इसके अलावा कहा
कुछ खास और खूबसूरत कहानियों का मजमुआ है किताब। जिसमें 'ख्वाब, हकीकत और अफसाना', 'अब्बूजी की आरामकुर्सी', और 'ठगिनी' जैसी, लेखक की चर्चित और पसंदीदह कहानियाँ शामिल हैं। इसके अलावा कहानियाँ आपको गहराई तक प्रभावित करेंगी।
कुछ हसरतें, कुछ उमंगें… कुछ तसव्वुरात, कुछ ख्वाहिशात… कुछ मस्ले कुछ मरहले… दिल की धड़कनों का बढ़ना घटना… कभी आशा, कभी निराशा… कभी मुहब्बत, कभी नफरत... कभी रहस्य, कभी रोमांच&he
कुछ हसरतें, कुछ उमंगें… कुछ तसव्वुरात, कुछ ख्वाहिशात… कुछ मस्ले कुछ मरहले… दिल की धड़कनों का बढ़ना घटना… कभी आशा, कभी निराशा… कभी मुहब्बत, कभी नफरत... कभी रहस्य, कभी रोमांच… कभी उर्दु, कभी हिंदी और कभी कभी इंग्लिश... लेकिन अंदाज़-ए-बयां रूमानी… क्या अपना हाल-ए-दिल बयां करने में कामयाब होगा?... पढ़ें…
किताब के बारे में- आभासी दुनिया एक ऐसी दुनिया, जो है भी और नहीं भी। यह दुनिया एक रहस्य भरी दुनिया है लेकिन आज कौन है जो इस दुनिया से वाकिफ नहीं? लोग यहाँ जाते ही गुम हो जाते हैं... इंटरन
किताब के बारे में- आभासी दुनिया एक ऐसी दुनिया, जो है भी और नहीं भी। यह दुनिया एक रहस्य भरी दुनिया है लेकिन आज कौन है जो इस दुनिया से वाकिफ नहीं? लोग यहाँ जाते ही गुम हो जाते हैं... इंटरनेट की इस दुनिया में सिर्फ सोशल मीडिया ही नहीं बल्कि साहित्य का भी एक उफनता मचलता सागर मौजूद है। बल्कि हिंदी साहित्य आज सबसे ज़्यादह यहीं लिखा और पढ़ा जा रहा है। यहाँ बहुत सी ई-पत्रिकायें हैं और बहुत सी सहित्यिक साईट्स हैं जो हिंदि साहित्य को न केवल आपके सामने ला रही हैं बल्कि उनका संरक्षण भी कर रही हैं। बहुत लिखा जा रहा है और तुरंत ही प्रतिक्रियायें भी दी जा रही हैं। इसी दुनिया से इस लेखक की कहानियाँ आपके सामने एक संग्रह के पहले भाग के रूप में इस पुस्तक में पेश की जा रही हैं। इस पुस्तक में छोटी-बड़ी कुल मिलाकर सोलह कहानियों का संग्रह है। इस पुस्तक में उपलब्ध कहानियों में तकनीक, शैली, भाषा और परिवेश आदि में विविधता का पूरा ध्यान रखा गया है ताकि पाठक को सारी कहानियों में एकरसता न लगे।
क्या आपको लगा है कभी कि आप किसी कहानी का किरदार हैं? हक़ीकत में हम सब कहानियों के किरदार ही होते हैं। मैं यही कहानियाँ लिखना पसंद करता हूँ। आपकी कहानियां.... मेरी कहानियों के किरदार म
क्या आपको लगा है कभी कि आप किसी कहानी का किरदार हैं? हक़ीकत में हम सब कहानियों के किरदार ही होते हैं। मैं यही कहानियाँ लिखना पसंद करता हूँ। आपकी कहानियां.... मेरी कहानियों के किरदार मेरे आस-पास ही होते हैं। वे मेरे साथ घूमते फिरते, खाते पीते, अपनी कहते सुनते हैं। मैं अपनी कहानियों के किरदार अपने आस-पास से ही उठाता हूँ। मैं अपने किरदार गढ़ता नहीं हूँ; जैसा कि अपनी कहानी ‘लिखते क्यों नहीं में मैंने कहा है- “नहीं, मै इन्हें नहीं बनाता। ये तो समाज से आते हैं। ये पहले से मौजूद होते हैं। हर तरफ़ हर कहीं ये मौजूद होते हैं। इन्हे मै नहीं बनाता, मै तो सिर्फ़ इनकी कहानियां लिखता हूं।”
कुछ हसरतें, कुछ उमंगें... कुछ तसव्वुरात, कुछ ख्वाहिशात... कुछ मस्ले कुछ मरहले दिल की धड़कनों का बढ़ना घटना कभी आशा, कभी निराशा कभी मुहब्बत, कभी नफरत कभी रहस्य, कभी थ्रिल कभी उर्दु, क
कुछ हसरतें, कुछ उमंगें... कुछ तसव्वुरात, कुछ ख्वाहिशात... कुछ मस्ले कुछ मरहले दिल की धड़कनों का बढ़ना घटना कभी आशा, कभी निराशा कभी मुहब्बत, कभी नफरत कभी रहस्य, कभी थ्रिल कभी उर्दु, कभी हिंदी और कभी-कभी इंग्लिश लेकिन अंदाज़ रूमानी... क्या अपना हाल-ए-दिल बयान करने में कामियाब होगा? पढ़ें ....
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