गांधी के चम्पारन सत्याग्रह के सौंवें साल में यह समझना बेहद जरूरी है कि आदिवासियों के प्रति गांधी का नजरिया क्या था। क्या उनका दर्शन मौलिक था? क्या आदिवासी लोग वाकई में असभ्य, असंगठित, अंधविश्वासी और नैतिक रूप से पतित थे? पचास के शुरुआती दशक में ‘महात्मा गांधी की जय’ कहने वाले आदिवासी क्या सचमुच में गांधी के प्रभाव में ही राष्ट्रीय आन्दोलन में आए? क्या आदिवासी लोग नेतृत्वविहीन और एक कायर समुदाय हैं, जो अपनी लड़ाई लड़ नहीं पा रहे थे। क्या वास्तव में उन्हें गैरआदिव