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"It was a wonderful experience interacting with you and appreciate the way you have planned and executed the whole publication process within the agreed timelines.”
Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal"अहसास जिंदगी के" मेरे लिए महज एक किताब न होकर मेरे अपने मनोवेगों का एक पुलिंदा है जिसे मैंने पिछले पन्द्रह सालों में इकट्ठा किया है आशा है, यह आप सभी के दिलों की झंकार बनेगी।
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Your review has been deleted and won’t appear on the book anymore.धीरज मोहन अवस्थी
मेरा जन्म, 23 जुलाई 1983 को रायबरेली (उ.प्र.) जिले के सताँव गाँव में हुआ था, प्राथमिक शिक्षा मेरी गाँव से प्रारम्भ हुई वहीं पाँचवी कक्षा में कबीरदास जी से परिचय हुआ उनके दोहों के मतलब समझ में आते थे। और अन्दर से लगता था कि वह अकाट्य सत्य कह रहे हैं। फिर सातवीं कक्षा में मेरा परिचय मलिक मुहम्मद जायसी जी से हुआ मुझे उनके साहित्य में दो बातें तहेदिल की गहराइयों से पसन्द आ गई। पहली परमात्मा के रूप का एक नारी सौन्दर्य में चित्रित करना और दूसरी जिस परम्परा के तहत वह कर रहे थे उसे सूफी प्रेममार्ग कहा जाता है। फिर पाठ्यक्रम में रहे सभी कवियों को पढ़ा साथ ही रेडियो पर आने वाले गानों सुना। बाद में पता चला कि जिन गीतों को बहुत पसन्द करते थे ज्यादातर गुलजार साहब ने लिखा है।
मेरे अपने लिखने की शुरूआत होती है सन् 2004 में दिल्ली के नई सड़क से ली गई किताब गीतांजलि से। और गीतों के लिखने का प्रेम परवान चढ़ा जब पहली बार जोधपुर शहर के एक होटल श्रीराम इन्टरनेशनल में गुलजार साहब का एकल काव्य पाठ सुना। उर्दु एकेडमी के सिमकाफ निजाम साहब होस्ट कर रहे थे और गुलजार साहब की नज्मों की खुशबू लगातार तीन घंटों तक बिखरती रही और पूरी महफिल खामोशी की चमक से भरी हुई किसी और दुनिया की सैर करती रही, शायद सन् 2007 में। इसके बाद मैं जो कुछ लिखता रहा उसे अपनी गुरू मदर राबिया को सुनाता रहता था और अपने दोस्तों को। तो यह लगभग पन्द्रह सालों का समय समय पर दिल के अन्दर उठे अहसासों का संग्रह है। आशा है आप सभी के दिलों की भी झंकार बनेगा।
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