नृत्य सार्वभौम कला है, जिसका जन्म हम मनुष्य जैसा ही होता है। जब बच्चा जन्म लेता हैं , तों वों रोकर अपने हाथ पैर मार कर अपनी भावाभिव्यक्ति कों बताता है कि वह भूखा है- इसी आंगिक -क्रियाओं से नृत्य की उत्पत्ति होती हैं। यह कला प्राचीन काल सें देवी-देवताओं- दैत्य दानवों- मनुष्यों एवं पशु-पक्षियों को अति प्रिय है। देवेन्द्र इन्द्र का अच्छा नर्तक होना और स्वर्ग में अप्सराओं के अनवरत नृत्य की धारणा से हम भारतीयों के प्राचीन काल से नृत्य से जुड़ाव रहा हैं । जिसक