'चल मन चल उस ओर... ' में संकलित कविताएँ एक सफ़र हैं ...मेरा भी ... तुम्हारा भी I हर एक का सफ़र ...
...सोचों, ख़्यालों,भावों,अभावों, बँधनों की पराकाष्ठा को जीते हुए उनसे छूटने की चाहत का सफ़र I
यह सफ़र चार पड़ावों से गुज़रता है I
पहले भाग ‘एहसासों के गलियारों में’ वे कविताएँ हैं जिनमें माँ-बाप, दोस्त, रिश्ते-नाते, बँधन और उनसे जुड़ी भावनाएँ अपने चरम पर हैं I
दूसरे भाग ‘सरहदें ज़मीनों की’ में ताकत की लड़ाई का कड़वा सच है I इस लड़ाई में हारत