प्रियंका खंडेलवाल के बाल कहानी संग्रह-‘गाँव का चिराग’ में उनकी पाँच बालकहानी समाहित हैं। कहानी-‘गाँव का चिराग’ बच्चों में परोपकार की भावना जाग्रत करने वाली है।दूसरी कहानी-‘तारु और श्रुति सहज में ही बच्चों को यह शिक्षा दे जाती है कि अपने से बड़ों का कहना मानने से हम सहज ही नुकसान से बच जाते हैं यानि बडे जो बात हमें बताते हैं उसमें हमारी भलाई छुपी होती है। ‘संग्रह की तीसरी कहानी -‘गाँव की सैर’ है जिसमें गाँव के शुद्ध वातावरण और आपसी प्रेम-भाव को प्रदर्शित किया गया है तो चौथी कहानी-‘देर आये, दुरुस्त आये’ में बातों ही बातों में अपना सामान यथा स्थान रखने की सीख लेखिका प्रियंका खण्डेलवाल ने दे दी है।पांचवी कहानी-‘मोती की माला’ बच्चों में अपनों से बड़ों के प्रति आदर और सेवाभाव की भावना उत्पन्न करने का प्रयास करती कहानी है।निष्कर्षतः प्रियंका खण्डेलवाल के कहानी संग्रह-‘गाँव का चिराग’ की सभी कहानियाँ परोक्ष रूप से बच्चों में संस्कार देने वाली कोई न कोई सीख अपने अन्दर समाहित किए हुए है। श्रीमती शशि पाठक