कच्चे धागों के पक्के बंधन
पिता के बाद यदि कोई पुरुष है, जो हमारा संबल बनकर हर परिस्थिति में हमारे साथ खड़ा रह सकता है, तो वो सिर्फ भाई ही है, उसी तरह संसार में माँ की जैसी ममता और दुलार, परवाह और फटकार लगाने वाली कोई और है, तो वो हमारी माँ की छवि अपनी बहन ही होती है।
भाई बहन का ये अटूट रिश्ता, एक बड़ी नाजुक रेशम की डोर से परिभाषित किया जा सकता है। यूं तो हर भाई का कर्तव्य होता है बहन की रक्षा करना, एक बहन का फर्ज होता है अपने भाई की बलाओं को टालन