प्रस्तुत पुस्तक म्रुन्मयाँचल लेखिका के द्वारा अपने जीवन के अनुभवों को अल्फाज़ों की नक्काशी देने के उपरोक्ष में लिखी गयी है। कवयित्री का मानना है कि सतत अभिव्यक्ति ही साहित्यकार की धरोहर है। इस पुस्तक में लेखिका के द्वारा रस, छंद, अलंकार से पूरित, माँ सरस्वती की वरद लली होने की प्रतिभा का सृजन किया गया है। भगवान शिव पर अपरिमित आस्था, अपने माता-पिता की जीवन में महत्वाकांक्षा और अपने स्वयं के जीवन के कर्म एवं इन्द्रियबोध का वर्णन किन परिस्थितियों में प्रस्फुटित हो