अतुल्य जब ४ साल का होगा, जब आदित्य देव ने उसे महाराज महेंद्र सिंह को सुपुर्द किया था। महाराज ने उसे अपने सेनापति भीमसेन सिंह को दे दिया। उन्हीं ने उसका पालन- पोषण किया। महाराज ने अतुल्य को राजकुमार घोषित किया और उसे नया नाम दिया, राघवेंद्र। समय बीतता गया और कई घटनाएं घटित हुई जिसने अतुल्य को बिजनौंर के सिंहासन के सामने लाकर खड़ा कर दिया और अतुल्य बना बिजनौंर का नया सम्राट, सम्राट राघवेंद्र।