दूर, प्राणघातक घात-प्रतिघातों के बीच नागभट्ट ने राजदेवी की ओर दृष्टि डाली। एक क्षण के लिये उसका हृदय काँप उठा। परंतु राजदेवी को तलवार हाथ में लिये कापालिको को ललकारता देख नागभट्ट ने हृदय में नवीन साहस का संचार होता महसूस किया।
शुरू-शुरू में कापालिक भी राजदेवी के इस पराक्रम और आक्रमकता पर कुछ देर के लिये जड़ होकर रहे गये थे। परंतु अंततः वे थे तो कापालिक ही। भला एक स्त्री से परास्त हो सकते थे ! वहीं दूसरी ओर, राजदेवी भी उन क्षण विशेष में चाहे जितनी भी दु