हमारे देश में जातियों को लेकर कई सवाल उठते हैं हम रह तो जरूर 21वी सदी में लेकिन हमारा तन मन अभी भी जात पात में उलझा हुआ हैं कई वर्षो पूर्व छुआछूत हुआ करता था ऐसा नहीं की ये अब खत्म हो चूका हैं अभी भी ये आसमान पर हैं दलितो व मुसहर बिरादरियों में आप जायेंगे तो ये जाति अभी भी भेदभाव से ग्रसित हैं । जिसे आज तक कोई अधिकार नहीं मिल पाया हैं किस तरह से ये समाज के लिए एक मुर्गे की तरह हैं पहले तो लालन - पालन करेंगे बाद में तड़पा - तदपा के नस - नस झल्ली कर देते हैं । मुसहरो की हयात जीवन में हम और हमारी सरकारे किस तरह उथल पुथल मचाती हैं और इनकी नर्क से भरी जीवन को इस पुस्तक के माध्यम से जानेंगे ।
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