सूरज सिंह एक ऐसी शख्सियत, एक ऐसी त्रिवेणी का नाम है जहाँ साहित्य, शिक्षण और विज्ञान तीनों का संगम होता है।
-श्री कृष्णा प्रसाद सिंह
एक तरफ तो ये Maths से M.Sc. और पटना के कई कोचिंग संस्थानों और विद्यालयों में शिक्षण का कार्य कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ साहित्य के क्षेत्र में भी इनका अरुणोदय हो रहा है| इनके शिक्षक दोस्तों को लगता है कि ये एक बेहतरीन कवि हैं तो वहीं इनके लेखक दोस्तों को लगता है कि ये एक बेहतरीन शिक्षक हैं| किसी भी चीज को देखने का इनका अपना एक विशिष्ट अंदाज है, जो इन्हें औरों से अलग करता है। शायद यही वह चीज है जो इनके शिक्षण और साहित्य दोनों को सुन्दर, सटीक और सहज बनाती है|
इन्होंने अपनी कविताओं में एक नई शैली का प्रयोग किया है। इनकी कवितायें शिकायत की शैली में लिखी हुई हैं। कहीं-कहीं ये शिकायत एक बालक के मासूम हठ जैसा लगता है, तो कहीं प्रेम में विकल् प्रेयसी जैसी, तो कहीं यह सशक्त रूप दिनकर और बाबा नागार्जुन की तरह सत्ता से भी करती है, तो वहीं जीवन के राग को आत्मसात करना भी सिखाती है।
वर्तमान में लेखन और शिक्षण के अलावे ये काव्यम् सीरीज की पुस्तकों के संपादन और प्रकाशन का कार्य भी कर रहें हैं|
BOOKS:
1. थोड़े अधूरे थोड़े पूरे अल्फाज़
2. हर आईना झूठा है
3. कुछ टूटे ख्वाब
4. शिकायतें
5. मीत न मिला रे मनका
6. दो गली दूर
7. समय के असंख्य आयाम
8. गली के अंतिम छोर पर
AWARDS:
1. बेस्ट सेलर ऑथर (अल्फ़ाज़) by Amzon.in
2. ग्लोबल एक्सीलेंस सम्मान by ICAN Foundation
3. ब्लू इंक सम्मान by Sri J R Manjhi( Ex CM of Bihar)
4. काव्य-भास्कर सम्मान by Dainik Bhaskar
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