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'1200 Divine Years of Kali Yuga' [Trilogy] Part-02 'A Battle Field on Paradise' / 'स्वर्ग एक युद्ध क्षेत्र' [त्रय-कथा] भाग-०२ देवों के ऊर्जा का रहश्य

Author Name: Rahul Pandey | Format: Paperback | Genre : Literature & Fiction | Other Details

संक्षिया वर्णित उपाख्यान, त्रयकथा ‘बारह सौ दिव्या वर्ष कलियुग के’ उपन्यास अवतरण भाग-०२ ‘स्वर्ग एक युद्ध-क्षेत्र’, की, जिसका प्रथम भाग अनुभाग ‘कालगा पिशाचों के देव’ है, इस द्वितीय भाग की भूमिगत व पटपथलिय संरचनात्मकता, प्रथम भाग के, अंत के सिरे को, जोड़ते हुए, उदय की ओर को, अग्रेषित होती है, कथकिय भावांतर में, यह त्रयकथा अपने पहले प्रति के, प्रमुख उन्नायक पात्र ‘कालगा’ जोकि, पैशाचिक देव शक्ति-लोकिय स्वामित्व प्रदान चरित्र के, इर्द-गिर्द घूमती हुई, कलियुग आरम्भ के, पांच हजार वर्ष पूर्वोत्तर से आरम्भ होती हुई, कलियुग के प्रथम चरण के, अग्रिम के इक्कीस सौ मानवीय वर्षों की, सामायिक सीमा रेखा को छूती है, जिसमे ‘पुन्डाहो’ साम्राज्य सभ्यता की, अन्तोदय तक के, पहलुओं का जिक्र करती हुई, उस रहस्यमयी खजाने का, धरती के गर्त पाताल में, समापन तक की, घटना का उल्लेख, त्रयकथा ‘बारह सौ दिव्या वर्ष कलियुग के’ प्रथम प्रति ‘कालगा-पिशाचों के देव’ में, क्रमिक वर्णन किया गया है।

त्रयकथा द्वितीय प्रति ‘स्वर्ग एक युद्ध-क्षेत्र’ अपने प्राथमिक क्रमिक घटनाओं, को सुनियोजित करते हुई, एक हजार दैव्य वर्ष के, सफर को तय करती है, जोकी इंसानी, गणमानक संख्या तीन लाख, साठ हजार वर्ष के, बराबर है, कथाचक्र ‘कालगा’ के, इंसानी धरती से, अग्रेषित होकर कोटिक-योजन की, दूरी पर 'रदिवर्तम' नक्षत्र स्थित पिंड 'स्वर्ग' व् 'वैकुण्ठ' के द्वार तक जा पहुंची, जहाँ तारुम ग्रहीय पैशाच व धरती वासियों समेत, अन्यत्र कई दूसरे नक्षत्र स्थित, ग्रहीय सभ्यताओं ने, मिलकर देव सभ्यताओं से, युद्ध अट्टहास करते है, तथा कृति की समाप्ति देवताओं व ‘कालगा’ समेत कई, अन्यत्र सभ्यताओं के मुखियागणों के, संधि-प्रस्ताव पारित होने की, दशा पर, समाप्त हो जाती है,

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राहुल पाण्डेय

..यहाँ जिक्र किया जाता है, महत्वाकांक्षी, विचार ध्येयक, सागर जैसी कल्पना की, असीम्य गहराई में डूबे, ..वा अपनी ही एक रंगीली दुनिया में मग्न, उस प्रतिभाशाली रचनाकार जिनका नाम राहुल पाण्डेय है, जिन्होंने भारतीय, हिन्दी साहित्य विधा को, अपने कई उपन्यासों व कृतियों से संजोया है, जिनमें प्रमुख रहीं ‘खिलाड़ी सतोशीनाकातोज़’ ‘लड़ाई बिना हथियार के’ ‘काला धन’ ‘दो बेहूदे’ ‘विध्वंस’ इत्यादि

..इसी क्रम में, अपनी इस सहित्यिक यात्रा में, नाना प्रकार की ख्याति, वा प्रतिभावान, व्यक्तित्व को जीने वाले, इस रचनाकार ने, अपनी एक त्रय कथा ‘कलियुग के बारह सौ दिव्य वर्ष’ की प्रस्तुति में जिसकी पहली खंड प्रति ‘कालगा पिशाचों के देव’ थी, दूसरी खंड प्रति जो आपके समक्ष है, ‘स्वर्ग एक युद्ध क्षेत्र" और इसकी तीसरी प्रति ‘देवों के अमरता का रहस्य’ है।

..अपनी इस साहित्यिक यात्रा को, अग्रेशित करते हुए, इन महोदय ने, अपनी सहित्यिक कलानिधानता, की शूमार पेशकश में, इन्होंने कई कवितावली संग्रह की भी, नुमाइन्दगी की, जिसका मुजाहीरा जन समुदाय में, विख्यात है, तत्कालीन समय में, ये मान्यवर एक नयी उपन्यास की रचना में कार्य रत है, जोकि जल्द ही जन समुदाय के, समक्ष होगा, आपको यह जानकर अचरज होगा की, अभी लेखक राहुल पांडेय की, उम्र महज ३२ वर्ष ही, और इन्होनें अपने एक साक्षात्कार पर जनसमुदाय को, बताया की उन्होंने, इन उपरोक्त वर्णित रचनाओं के अतरिक्त भी, अनेकों रचनाओं का कॉपीराइट लिया है, जो उन्होंने अभी तक, प्रकाशित तक नहीं किया है।

यही नहीं, इन्होनें यह भी, उजागर किया की, इन्होनें अभी से ही, कई ऐसे शीर्षकों को चुना है, जिस पर वे, अपने जीवन के, अग्रिम पंद्रह वर्षों के लिए, कार्यरत होंगे, यद्यपि भविष्यतः भी ये इसी भांति हिंदी साहित्य बिधा के प्रति समर्पित रहे तो यह हिंदी साहित्य को अनेकों रचनाओं को समर्पित करेंगे, इनकी समस्त रचनाएं अत्याधुनिक विषयों पर विचारात्मक प्रभाव डालती हैं, साक्ष्य तथ्यों की पेशी के साथ साथ, तार्किक होती है, ऐसे साहित्य बिधाकार को, हिंदी जगत के साहित्य प्रेमियों की ओर से, सतत नमन।

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