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Vivek SreedharAuthor of Ketchup & Curryअगर आप ज़िन्दगी के उस दौर से गुजर रहे है, जहाँ कुछ अच्छा नहीं चल रहा, lockdown में जॉब नहीं रहा, घर में पैसे नहीं बचे , कर्ज़दार आपके दरवाज़े पर है और आप परेशान हो रहे है , अगर आपको अपनी स्थति बहुत दयनीय महसूस हो रही है और रोना आ रहा है तो मेरी माने और जितना रो सकते है रो लीजिये, फिर कभी न रोने के लिए ।
क्यूंकि अगर आपने ये किताब खरीदी है,या किसी भी जरिये से ये आपके हाथों में है तो ब्रह्माण्ड का इशारा समझिये, जिंदगी में फिर कभी रोने का मौका नहीं मिलेगा, फिर कभी आप अपने आपको मजबूर और लाचार नहीं समझेंगे ,फिर कभी न तो भगवान् से अपने पैदा होने के लिए सवाल करेंगे और न ही कभी किस्मत को दोष देंगे, और न ही कभी किसी धनवान और सफल इंसान को देखकर अपनी लाचारी मह्सूस होगी।
जीवन के जिस पड़ाव में आप है,अपने मन की तो आपने कर ही ली और अगर ये किताब आपके हाथों में है, इसका मतलब है की बदलाव की चाहत भी, है और ज़रूरत भी।
क्यूंकि इस ४० से ४० करोड़ के सफर में ज़िन्दगी तो बदलेगी और अच्छे के लिए बदलेगी ये तो तय है।
अंजना रितौरिया
अंजना रितौरिया मध्यप्रदेश के इंदौर शहर से है ,2003 में कई बड़े सपने लेकर वह सपनो की नगरी मुंबई शिफ्ट हुई, और अब मुंबई ही उनका घर है।
पिछले 15 वर्षों से टेलीविज़न इंडस्ट्री में कई धारावाहिक में उन्होंने क्रिएटिव डायरेक्टर के पद पर काम किया और आज Times Group के OTT Platform में Creative Consultant के पद पर कार्यरत है।
सिंगल पैरेंट होकर कठिन समय में ज़िन्दगी को करीब से समझा और आज सही राह और सुझाव देकर कई करीबी दोस्त और परिवार में counselor की भूमिका निभाती है।
जब Lockdown की वैश्विक संकट में 60 दिन से भी कम समय में और 14 दिन के Quarantine और isolation से इंसान को घबराकर अपनी जान लेते देखा तो अपनी सोच और दिनचर्या में परिवर्तन करके ज़िन्दगी को सरल और सफल बनाने के अनुभवों को एक किताब का रूप देने की प्रेरणा मिली,जिस से उन सब तक पहुँचाया जाए जो किसी भी वजह से परेशान है या खुश नहीं है । उनका विश्वास है की अगर किसी ने उनके इस ४० से ४० करोड़ तक के सफर को जीया और उसे अपनाया तो किसी भी वजह से जीवन त्यागने का ख्याल भी उनके मन में नहीं आएगा।
अपनी ही ज़िन्दगी की कहानी ,दिनचर्या और जीवन शैली को सबके साथ शेयर करने के लिए इसे एक किताब का रूप दिया है जो आपके हाथों में है।
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