Share this book with your friends

AAJ PURAANE KHAT KHOLE THE / आज पुराने ख़त खोले थे

Author Name: Ravi Shukla | Format: Paperback | Genre : Poetry | Other Details

प्रिय पाठकों प्रेम जीवन की वह अमूल्य भेंट है, जिसके होने मात्र से कुछ ना होते हुए भी बहुत कुछ होता हुआ प्रतीत होता है। प्रेम स्वयं का दूसरे के प्रति समर्पण है। यदि इसे और अधिक महत्व दें तो आत्मसमर्पण कहना गलत नहीं होगा। प्रेम के यथार्थ के विषय में यदि कहा जाए तो प्रेम निश्छल और निःस्वार्थ होना चाहिए क्योंकि जहाँ स्वार्थ है वहाँ प्रेम है ही नहीं।

प्रेम को समझना बहुत ही सरल किंतु उतना ही कठिन भी है। और यह सबकुछ परिस्थितियां तय करती हैं। कभी कभी परिस्थितियां यदि विपरीत हों तो जिससे आप अत्यंत प्रेम करते हैं उससे उतनी ही घृणा भी हो जाती है।और  इसका यह प्रभाव पड़ता है कि भविष्य में किसी पर विश्वास करना अत्यंत कठिन हो जाता है। यदि अन्य पहलू पर विचार करें तो, आपके प्रेम संबंध यदि टूटते हैं तो यह इस बात का कतई परिचायक नहीं है कि आपके साथ धोखा ही हुआ है। इसके अन्य कारण भी हो सकते हैं अथवा कोई मजबूरी भी हो सकती है। किसी का अनुभव अच्छा रहा, किसी का बेकार भी, यदि इस आधार पर देखा जाए तो प्रेम की अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग परिभाषाएं हैं।

प्रेम के  आबंध  में

प्रेम  के   प्रबंध  में

बस प्रेम ही प्रेम हो

प्रेम  के  निबंध  में

इस काव्य संग्रह में आप प्रेम के अलग-अलग पहलुओं से अवगत होंगे। वास्तविकता और काल्पनिकता के आधार पर शब्दों के द्वारा प्रेम के विभिन्न पहलुओं को  काव्य के रूप में दिखाने की कोशिश की है।

Read More...
Paperback
Paperback 195

Inclusive of all taxes

Delivery

Item is available at

Enter pincode for exact delivery dates

Also Available On

रवि शुक्ल

अपनी वास्तविकता और काल्पनिकता को शब्दों के द्वारा विभिन्न विधाओं में लिखने की क्रिया ही तो काव्य है। एक सफल कविता वही है, जो किसी व्यक्ति विशेष पर, समाज पर अपना पूर्ण रूप से प्रभाव जमा ले। यदि इसे समाज का दर्पण कहें तो कुछ गलत नहीं। यह शब्दों का ऐसा घर है, जिसमें एक कवि के भावों विचारों चाहे वह काल्पनिक हो अथवा वास्तविक, का वास रहता है।

और इसी में आपको काव्य का एक छोटा सा हस्ताक्षर कहने वाले रवि शुक्ल का जन्म उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जनपद के कड़ेसर नामक गाँव में 13 जुलाई 1998 को हुआ। आप का लालन-पालन संपूर्ण परिवार के मध्य बहुत ही लाड़-प्यार से हुआ। जिसमें आपकी दादी स्वर्गीय श्रीमती रमावती शुक्ला जी का महत्वपूर्ण योगदान रहा। आपका ननिहाल के प्रति अगाध प्रेम है। आपने अपनी प्रारंभिक शिक्षा खलीलाबाद से की और फिर दीनदयाल उपाध्याय यूनिवर्सिटी (गोरखपुर) से हिंदी साहित्य व भूगोल में स्नातक किया।

डगर जिंदगी की निश्चित कहाँ

खबर ही नहीं है कहाँ जा रही है?

मुसाफिर हैं हम तो अजब से यहाँ

चले जा रहे हैं जहाँ जा रही है...

हिंदी साहित्य में आपकी रूचि शुरू से ही रही है। आप वर्ष 2015 से लेखन कार्य में हैं। तुकांत मिलाना, उन्हें गुनगुनाना, शब्दों के जाल बुनना स्वयं में बहुत खुशी का अनुभव कराती है और धीरे-धीरे यह आगे चलकर इतनी प्रभावी हुई कि आज एक काव्य संग्रह आप तक पहुँचा रहे हैं। आपका मानना है कि सीखना एक सतत प्रक्रिया है और आज भी लेखन सीखना और समझना जारी है।

Read More...

Achievements

+6 more
View All