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Subrat SaurabhAuthor of Kuch Woh Pal' आओ वर्तमान संवारें ' हमारी संस्कृति- हमारी विरासत को समर्पित 21 लेखों पर आधारित इस किताब को लिखने के पीछे का मूल मकसद है अपनी मातृभाषा डोगरी, डुग्गर प्रदेश की संस्कृति और विरासत को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करने के लिए यहां के लोगों को प्रेरित करना। क्योंकि यह हमारी जड़े हैं और जड़ों से विमुख अस्तित्व नहीं रहता । अपने अस्तित्व को बचाने के लिए हमें अपनी मातृभाषा डोगरी, संस्कृति और विरासत को सहेज कर रखना होगा तथा उसे प्रचारित और प्रसारित भी करना पड़ेगा । यही इन लेखों की मूल भावना भी है
राजेश्वर सिंह 'राजू'
राजेश्वर सिंह 'राजू' का जन्म 8 अगस्त में स्वर्गीय माया देवी और स्वर्गीय संसार सिंह के परिवार में जम्मू में हुआ । वह तीन भाई तथा एक बहन हैं। राजेश्वर सिंह 'राजू' का बचपन से ही कला और साहित्य की तरफ रुझान था ।उनकी पहली कहानी उन्होंने छठी कक्षा में पढ़ते हुए लिखी, जिसमें उन्होने अपने आप को पायलट के पात्र के रूप में पेश किया। यह एक रोमांटिक कहानी थी, जिसे उन्होंने शर्मा कर अपने घर के छोटे मंदिर के नीचे छुपा कर रखा था । लेकिन उनकी माता जी ने वह कहानी पढ़ ली और उन्हें लिखने के लिए प्रोत्साहित भी किया। उसके बाद वह लगातार कहानियां , निबंध , कविताएं और लघु उपन्यास लिखने लगे । फिर तो उन्होंने वक्त बीतने के साथ-साथ राज्य के सभी प्रमुख समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के लिए लिखा जिनमें ' डेली एक्सेल्सियर' के साथ उनका जो सफ़र सन 1989 में आरंभ हुआ आज तक बदस्तूर जारी है । वह एक कला समीक्षक के तौर पर निरंतर अंग्रेजी और हिंदी के साथ ही अपनी मातृभाषा डोगरी के प्रचार और प्रसार के लिए अपने लेखों के माध्यम से योगदान दे रहे हैं । जिन प्रमुख समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में उनका सृजनात्मक साहित्य प्रकाशित हुआ है उनमें वीर अर्जुन, सांधय वीर अर्जुन , अजीत समाचार , पंजाब केसरी , स्टेट टाइम्स , गलिम्पसिस ऑफ फ्यूचर , नव जम्मू , ग्रेटर कश्मीर , कश्मीर टाइम्स , दैनिक कशमीर टाइम्स , डोगरी टाइम्स, जम्मू प्रभात, शीराज़ा डोगरी, शीराज़ा हिंदी, धर्म मार्ग , योजना ,भाषा वगैरह शामिल हैं । उनके लिखे हुए लगभग 1000 लेख, 500 कविताएं और 100 के करीब कहानियां प्रकाशित हुई हैं। उन्होंने तीनों भाषाओं अंग्रेजी , हिंदी और डोगरी में समान रूप से योगदान दिया है। अब तक उनकी 16 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमें से अंग्रेजी भाषा में 2 , हिंदी भाषा में 8 और डोगरी भाषा में 6 पुस्तकें शामिल हैं। इनका हिंदी भाषा में एक कहानी संग्रह ' कह दो ', 4 कविता संग्रह ' निशब्द ', 'हां - ना ', ' तवी उदास थी' , " भगवान मेरे नहीं हैं ', तथा क्षेत्रीय सांस्कृतिक विरासत और साहित्यकारों तथा कलाकारों पर लेख संग्रह ' झरोखा ', ' अतीत गौरवमय था ' ,' हमसफ़र 'शामिल हैं । वहीं डोगरी भाषा में उनके 6 कहानी संग्रह जिनमें ',खौ'दल ' , ' अद्ध मझाटे', 'जीह्ब तलैह्टी गेई ' ' केह् पता ' 'तंदां ' के साथ एक बाल कहानी संग्रह ' सिक्ख मत्त ' प्रकाशित है तथा अंग्रेजी भाषा में ' ऑफ आर्ट एण्ड आर्टिस्ट' जो डुग्गर प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत और कलाकारों तथा साहित्यकारों पर आधारित है तथा सामाजिक लेख संग्रह ' थ्रू ए कामन लेन्स शामिल है।राजेश्वर सिंह ' राजू' को बाल साहित्य के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार-2022, अपनी पहली किताब ' खौ'दल ' के लिए उन्हें डोगरी संस्था जम्मू की तरफ से द्वितीय रामनाथ शास्त्री स्मृति पुरस्कार 2015 से स
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